यूनुस ख़ान की यह स्मृति-आख्यान मात्र एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि इरफ़ान ख़ान की आँखों और आत्मा से झाँकने की कोशिश है। उनके अभिनय, संघर्ष, और अदायगी…
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