उस रोज़ नरेश सक्सेना जी का जन्मदिन था, नरेश जी बेहतरीन कवि... संयोग से 16 जनवरी 2014 की उस शाम मैं भी लखनऊ में था, उनके साथ था. और फिर उन्होंने…
आगे पढ़ें »कवितायेँ: स्वप्निल श्रीवास्तव ♒ बांसुरी मैं बांस का टुकड़ा था तुमने यातना देकर मुझे बांसुरी बनाया मैं तुम्हारे आनंद के लिये बजता रहा फ…
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Vandana Rag
हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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