संस्कृति अब किसी भयानक अपराध कथा में बदलने लगी है अजित राय शर्मिला चटर्जी का बस इतना ही कसूर था कि उन्होंने फ्रांस के नीस शहर में एक पंजाबी…
मैं दिल्ली नहीं छोड़ सकता अजित राय नसरुल्ला और उनके जैसे हजारों–लाखों लोग जो भारत से बेइंतहा प्यार करते हैं, हम उनके लिए और कुछ नहीं कर सकते …
काश! 'शकुंतला' का मंचन हो और हम इस्माइल चुनारा के साथ उसे देखें अजित राय इस्माइल चुनारा से पहली बार मैं नेहरू सेंटर लंदन में दिव्या माथ…
एक विचार के रूप में हमारे साथ सदा रहेंगे राजेन्द्र यादव अजित राय ठीक रात के बारह बजे जब तारीख बदलती है, जब 28 अक्टूबर 2013 की जगह चुपके से 29 अ…