वो रात अनामिका चक्रवर्ती हाँ कड़कड़ाती ठंड की वो भयानक रात जब भी याद आती है तो रूह तक कांप जाती है। जब, सब अपने घरो में रजाई की गर्मी में सुक…
आगे पढ़ें »परिचय को रोमांचक कर गए। प्रश्नो को मुक्त करने वाले, तुम सोए नहीं अब जागे हो। रूढ़ीवादिता के छज्जे तले, घुटती सांसो को खुला आसमान देने वाले। द…
आगे पढ़ें »अनामिका चक्रवर्ती की कवितायेँ ये जीवन यथार्त और परछाईयों में, एक…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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