राजेन्द्र यादव को समर्पित अनामिका चक्रवर्ती ''अनु'' की कविता

परिचय को रोमांचक कर गए।
  प्रश्नो को मुक्त करने वाले,
तुम सोए नहीं अब जागे हो।
रूढ़ीवादिता के छज्जे तले,
घुटती सांसो को खुला आसमान देने वाले।
दलित को कलम का ताज देने वाले।
नवयुग का निर्माण करने वाले।
तुम बिखर नहीं सकते,
तुमनें आँखे बंद कर ली।
कितनी आँखो में रोशनी भर गए।
स्त्रीत्व की कलम में ,
आत्म विश्वास का रंग भर गए।
बदरंग होकर शत्रु के दिल में ,
राज करनें वाले।
इंद्रधनुषि मन को ,
श्वेत देह कर गए।
साहित्य के अंबर में,
 मात और शह लेकर,
जिंदादिली से जीने वाले।
बेबाकी का हुनर लिए,
 बस एक ही चुक कर गए।
जाना तो तय था,
पर जाते जाते ,
अपनी मौत को संदिग्ध
कर गए....।
पर याद रखेगी दुनिया,
तुम ही हो ...
जो साहित्य की धरा पर,
 अपनी
 कलम का खून सींच गए..।
तारिख भी तुमने चुनी,
कमाल की,
जन्म और म़ृत्यु का अंक
 ‘एक’ कर गए..

अनामिका चक्रवर्ती ''अनु''

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
कहानी : भीगते साये — अजय रोहिल्ला
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
काली-पीली सरसों | ज्योति श्रीवास्तव की हिंदी कहानी | Shabdankan
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'