"प्रभावपूर्ण साहित्य अवश्य ही लोक भाषा के निकट होगा। श्रम की भाषा और जीवन का अनुभव लोक पक्षधरता को तय करता है। साहित्य का लोकपक्ष अपने समय का …
आचार्य विश्वनाथ पाठक का स्वर्गवासी होना पालि प्राकृत और संस्कृत अवधी भाषा के लिए अपूरणीय क्षति है सर्वमंगला के प्रणेता, साहित्य अकादमी पुरस्का…