ज़ख्म - डॉ. रश्मि कैसा है यह द्वंद्व, समझ ही नहीं पा रही हूँ........... एक तरफ ‘तुम’ हो.....तो दूसरी तरफ है ‘वो’। प्रेम के ये दोनों सिरे मुझ…
आगे पढ़ें »सूखे पत्ते हरे-हरे पत्ते जिनसे सजती है टहनियाँ फिर ये ही पत्ते सूखकर टूटकर बिखर जाते हैं टूटे पत्तों का गिरना धरा पर है मात्र एक प्रक्र…
आगे पढ़ें »चिड़ियाँ खुले आसमान में चिडियों का एक झुंड इठला रहा था. मस्ती में उड़ान भरती चिडियों के मन में उमंगें थीं कि, 'मैं उस आसमान को छुऊँगी&…
आगे पढ़ें »
Vandana Rag
हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
Social Plugin