दुनिया में आदमियों की दुनिया में औरतों की दुनिया... सवालों को टटोलती वरिष्ठ कथाकार मैत्रेयी पुष्पा की लेखनी पगला गई है भागवती!... म…
आगे पढ़ें »Maitreyi Pushpa भुगतिए नतीजा कभी वोट देने का और कभी न देने का मैत्रेयी पुष्पा लोकतन्त्र की अवधारणा के मूल में दो महत्व…
आगे पढ़ें »मेरी बात — अपूर्व जोशी मुझे आश्चर्य मैत्रेयीजी की प्रतिक्रिया पर हुआ — अपूर्व जोशी अपूर्व जोशी न तो सच बोलने से डरने …
आगे पढ़ें »ओछी ईर्ष्या के बीच खेमेबंदी — अपूर्व जोशी पहले मुझे ज्ञात नहीं था कि साहित्य जगत में भी जबरदस्त राजनीति होती है। यहां भी घराने बने हुए है…
आगे पढ़ें »बड़े शहर के निवासी हो चले हम जब — अपने घर-गाँव अपनी जन्मस्थली, जहाँ बचपन बीता हो — जाते हैं तो दिल-ओ-दिमाग़ पर जो प्यारी-सी नमी छा जाती है उसे मैत्रे…
आगे पढ़ें »गजब नेता – मैत्रेयी पुष्पा यह दहशत कम तो नहीं और स्त्रियों का अपमान भी कम नहीं जब एक मंत्री कहता है — कुछ दिन बाद पत्नी पुरानी हो जाती ह…
आगे पढ़ें »नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ आपके लिए हिंदी अकादमी उपाध्यक्ष मैत्रेयी पुष्पा का साक्षात्कार. हाल में ही दिनेश कुमार से हुई उनकी यह बातचीत '…
आगे पढ़ें »गोमा हँसती है - मैत्रेयी पुष्पा (हंस, अगस्त 1995 में प्रकाशित लम्बी कहानी ) कातिक के महीने में भी इस दगरे में सूखी रेत! साइकिल…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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