गोरखपुर से सिसकियाँ सुकृता पॉल कुमार अनुवाद: हर्षबाला शर्मा दम घोंटू काले धुंए से घिरा एक जीवित बम रख दिया गया हर छोटी…
आगे पढ़ें »We the homeless / बेघर हम Sukrita Pual Kumar / गुलज़ार सुकृता की कविता जब गुलज़ार के दिल से तर्जुमा होगी तो कैसा समां होगा... …
आगे पढ़ें »सुकृता पॉल कुमार की कवितायेँ — अंग्रेज़ी और रेखा सेठी अनुदित हिंदी In the Throes of Time The calendar buzzed Around my ears …
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