नीलिमा चौहान, डीन, ऑफिशियली पतनशील यूनिवर्सिटी ऑफ़ इंटायर हिंदी साहित्य — पतनशीलता एक तेवर, एक जश्न, एक उद्घोष हाल के दो सालों में अपनी …
आगे पढ़ें »कभी पता तो करो कि सौ करोड़ से ज्यादा आबादी वाले देश में तुम्हारी किताबों की पांच सौ प्रति छापकर वो जो जगत कल्याण कर रहा है, उसमें उसका काम कैस…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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