यूनुस ख़ान की यह स्मृति-आख्यान मात्र एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि इरफ़ान ख़ान की आँखों और आत्मा से झाँकने की कोशिश है। उनके अभिनय, संघर्ष, और अदायगी…
आगे पढ़ें »मुक्तिबोध : एक संस्मरण हरिशंकर परसाई भोपाल के हमीदिया अस्पताल में मुक्तिबोध जब मौत से जूझ रहे थे, तब उस छटपटाहट को देखकर मोहम्मद अली ताज ने कह…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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