छावनी में बेघर - अल्पना मिश्र बाहर जो हो रहा होता है, वह मानो नींद में हो रहा होता है। जो नींद में हो रहा होता है, वह बाहर गुम गया-सा लगत…
आगे पढ़ें »रजनी - मन्नू भंडारी (मध्यवर्गीय परिवार के फ़्लैट का एक कमरा। एक महिला रसोई में व्यस्त है। घंटी बजती है। बाई दरवाज़ा खोलती है। रजनी का प्रवेश।…
आगे पढ़ें »दयानंद पांडेय की कवितायेँ अपनी कहानियों और उपन्यासों के मार्फ़त लगातार चर्चा में रहने वाले दयानंद पांडेय का जन्म 30 जनवरी, 1958 को गोरखपुर ज़…
आगे पढ़ें »लिहाफ़ - इस्मत चुगताई जब मैं जाड़ों में लिहाफ ओढ़ती हूँ तो पास की दीवार पर उसकी परछाई हाथी की तरह झूमती हुई मालूम होती है। और एकदम से म…
आगे पढ़ें »साहित्य-संस्कृति से जुड़ी संस्थाएं सिफारिश, दलाली के झांसों में आकर गलत काम करती हैं - मैत्रेयी पुष्पा शब्दांकन पर मैत्रेयी जी के चाहने वाल…
आगे पढ़ें »हिंदी की दुनिया में बड़े लेखकों के निधन से रिक्तता - अशोक मिश्र रवीश कुमार की जिस लघु प्रेम कथा को ‘लप्रेक’ के नाम से छापा गया वह हिंदी की मु…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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