हर स्थान कहानियों का स्त्रोत होता है, वह स्थान लेखक की भावना से होता हुआ कहानी में उतर आता है. अस्पताल एक संवेदनशील जगह होती है, लेखक के लिए व…
आगे पढ़ें »Jeevan kya Jiya - 3 Namvar Singh जीवन क्या जिया! ( आत्मकथा नामवर सिंह बक़लम ख़ुद का अंश) अजीब बात है कि लोगों को दुख की बातें, अपमा…
आगे पढ़ें »जिसे महायानी बौद्ध ‘म्यूचुअल पॅाजे़शन ऑफ टेन वर्लड्स’ कहते हैं, मध्यकालीन स्त्री की हँसी पर भी वह अवधारणा पूरी तरह लागू है — अनामिका म…
आगे पढ़ें »मैंने कभी अपने गुरुदेव हजारी प्रसाद द्विवेदी से पूछा था, ”सबसे बड़ा दुख क्या है?“ बोले, ”न समझा जाना।“ और सबसे बड़ा सुख? मैंने पूछा। फिर बोले, ”ठ…
आगे पढ़ें »मैंने कभी अपने गुरुदेव हजारी प्रसाद द्विवेदी से पूछा था, ”सबसे बड़ा दुख क्या है?“ बोले, ”न समझा जाना।“ और सबसे बड़ा सुख? मैंने पूछा। फिर बोले, ”ठ…
आगे पढ़ें »खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो? गुलज़ार खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो? एक ख़ामोश-सा जवाब तो है। डाक से आया है तो कुछ कहा होगा "कोई …
आगे पढ़ें »जब मैं बनारस में था तब भी मैंने नहीं जाना कि राशन की दुकान कौन सी है, सब्जी कहां मिलती है, कैसे घर का खर्च चलता है। सारा का सारा काम काशी करते …
आगे पढ़ें »Namvar hone ka arth : Alochana ka Vatvriksh Swapnil Srivastava नामवर होने का अर्थ: आलोचना का वटवृक्ष स्वप्निल श्रीवास्तव उनके …
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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