स्त्री के लिए आलोचक का रवइया न चाहते हुए भी रह रहकर सामंती होने लगता है मैत्रेयी पुष्पा आलोचना की रस्म हिंदी आलोचना जगत अभी भी साहित…
आगे पढ़ें »यह असहनीय और असहनशील युग है ... कृष्ण बिहारी कृष्ण बिहारी पो. बॉक्स - 52088. अबूधाबी, यू ए ई email : krishnatbihari@yahoo.com mobile : +97…
आगे पढ़ें »रेहन पर पांच बेटे भूमिका द्विवेदी अश्क आज, कई दिनों बाद तेज़ धूप निकली थी. इतने दिनों से सिर्फ़ बदली ही छाई थी. बरसात के मौसम में ये सब लगा रह…
आगे पढ़ें »सातवें आसमान पर आलोचना ऊंट और गधे की शादी में ये लोग (मोहन, राकेश कमलेश्वर और राजेंद्र यादव) एक दूसरे के गीत गा रहे थे - विजय मोहन सिंह कृष्…
आगे पढ़ें »रैनेसाँ प्रियंवद रैनेसाँ ! इस दफा की 'बहुवचन' में जब यह लेख देखा तो लगा कि 'किस ज़माने की बात करते हो ..' लेकिन लेख प्रियंवद …
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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