प्रत्यक्षा का लेखन पढ़ते मैं हमेशा हतप्रभ होता हूँ. अव्वल तो इन्सान को ऐसे विचार, जो प्रत्यक्षा की कहानियों में नज़र आते हैं, आने की दैविक स्व…
आगे पढ़ें »उस अंतरराष्ट्रीय जगत को दिखाना चाहते हैं कि हमारे यहां अदालतें हैं और लोगोंं की रक्षा के लिए रात को भी अदालतें खुलती हैं। न्याय होता है। भ…
आगे पढ़ें »हिंदी साहित्य में 'नई कहानी' को गढ़ने वाली त्रयी के महान कथाकार राजेन्द्र यादव की कहानी, गुलाम... रंगे स्यार को राज तो मिल ग…
आगे पढ़ें »छोड़ आये हम वो गलियाँ — पार्ट 2 — ममता कालिया इलाहाबाद के मटुकनाथ के मुंह पर न तो स्याही मली न ही दूधनाथ की पत्नी निर्मला ने उनकी सार्व…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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