फारवर्ड प्रेस जुलाई 2014 1. लोकसभा चुनावों का प्रेमकुमार मणि द्वारा बहुजन दृष्टिकोण से मूल्यांकन 2. मुस्लिम राजनीति पर अतिफ रब्बानी का लेख…
आगे पढ़ें »ग़ुलज़ार — एक नाम, जो कविता को ख़्याल, ख़ुशबू और ख़ामोशी में पिरो देता है। इस पोस्ट में प्रस्तुत दस कविताएँ उनके भावलोक की झलक हैं, जो दिल को छूकर…
आगे पढ़ें »बांयें से प्रो० पुरुषोत्तम अग्रवाल, प्रियदर्शन, सुश्री सुमन केशरी व भरत तिवारी ए क जन्मदिन पर डॉक्टर इवा हजारी की याद मुझे नहीं मालूम डॉ इवा…
आगे पढ़ें »राग देश जी हाँ, पिछले छह सालों से, जब भी वहाँ किसी मरीज़ को ऐसी ज़रूरत पड़ी, तो वहाँ ट्रैफ़िक को थाम कर 'ग्रीन चैनल' बनाया गया ताकि ट्…
आगे पढ़ें »बनारस केदारनाथ सिंह इस शहर में वसंत अचानक आता है और जब आता है तो मैंने देखा है लहरतारा या मडुवाडीह की तरफ़ से उठता है धूल का एक…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
Social Plugin