देश नदी नालो व अन्य चीजों से नही बल्कि संस्कारवान नागरिकों से महान बनता हैं

maithili bhojpuri academy मैथिली-भोजपुरी अकादमी

मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली

कला ,संस्कृति एवं भाषा विभाग,दिल्ली सरकार
समुदाय भवन, पदमनगर, किशनगंज,
दिल्ली-110007
-------------------------------------------------------------
     दिल्ली सरकार की मैथिली-भोजपुरी अकादमी द्वारा दिनांक 02-03 फरवरी को मैथिली भोजपुरी महिला संगोष्ठी का आयोजन जवाहर लाल नेहरू यूथ सेटर, 219, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, नर्इ दिल्ली-110002 में किया गया। इस संगोष्ठी में दिनांक 02 फरवरी को मैथिली महिला संगोष्ठी में नारी का अस्तित्व एकटा मनोवैज्ञानिक विश्लेषण विषय पर सुश्री स्तुति नारायण, डॉ. भावना नवीन, डॉ. ललिता झा, श्रीमती सरिता दास, श्रीमती संजू दास ,श्रीमती नूतन दास ,श्रीमती विनीता मालिक ने अपने विचारों को रखा। इस अवसर पर सुश्री स्तुति नारायण ने कहा कि महिलाओ को अपने व्यकितत्व को सवित करने के लिये अनेक कसौटियों से गुजरना पडता हैं।  

maithili bhojpuri academy मैथिली-भोजपुरी अकादमी

     डॉ. भावना नवीन ने अपने वक्तव्य में कहा कि नारी तन से जितनी कोमलांगी है मन से उतनी ही दृढ और यह बात उसने प्रत्येक क्षेत्र में अपनी सफलता सवित करके दिखा भी दिया है संजू दास ने कहा कि समाज ने कितनी भी प्रगति कर ली है लेकिन नारी के प्रति उसके रूढिवादी सोच में कोट खास परिवर्तन आज भी नही दिखार्इ देता। संगोष्ठी में अध्यक्ष के रूप में बोलते हुये डॉ. शैफालिका वर्मा मैथिली की वारिष्ठ साहित्यकार ने कहा कि संगोष्ठी का उद्वेश्य एक विषय के रूप में मनोविज्ञान नही अपितु समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली स्त्रीयां जिनमें गृहणी भी शमिल हैं को बुलाया गया हैं जिन्होने उन क्षेत्रों के मनोविज्ञान को भी यहां प्रस्तुत किया। पत्नी पति के अधीन नही रहती अपितु पत्नी और पति एक दुसरे के प्रेम के अघीन रहतें हैं। मां का दायित्व हैं कि वह अपनी बेटी के साथ साथ बेटे को दूध पिलाते हुये संस्कार प्रदान करें। कोर्इ भी देश नदी नालो व अन्य चीजों से नही बल्कि संस्कारवान नागरिकों से महान बनता हैं। संगोष्ठी में अकादमी के सचिव ने कहा कि आप जिससे प्रेम करते है उसे कभी भी पराधीन नही रख सकतें। और यदि कोर्इ पराधीन रखता हैं तो वह उससे प्रेम नही कर सकता हैं कोर्इ भी स्त्री जन्म से चरित्रहीन नही होती हैं। सनिनघ्य अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. गिरीश चन्द्र श्रीवास्तव का रहा।

     03 फरवरी 2013 को भोजपुरी महिला संगोष्ठी में नारी का असितत्व एंगो मनोवैज्ञानिक विश्लेषण पर डॉ.  सुनीता, डॉ. सविता सिंह, सुश्री सोनल सिंह, डॉ. विभावरी, श्रीमती चन्दा राय, श्रीमती सात्वंना द्विवेदीअल्का सिन्हा ने अपने वक्तव्य प्रस्तुत कियें। डॉ. सुनीता ने अपने वक्तव्य में कहा कि स्त्री को ब्रान्ड बना दिया गया हैंडॉ. सोनल सिंह ने कहा कि स्त्री खाली पुरूष के जीवन में सार्थक व आनन्दमय होने के लिये बनी हैंडॉ.  विभावरी ने कहा कि हमारा समाज स्त्री के प्रति संवेदनशील व मानवीय नही बन पा रहा हैं बदलाव की दिशा में महिलाओं को ही इस तरफ कदम उठाना चहिए श्रीमती चन्दा राय ने कहा कि स्त्री पर पावन्दी लगाने से पूरे समाज का ही विकास प्रभावित होता है। संगोष्ठी की अध्यक्ष के रूप में अपने विचार व्यक्त डॉ. अल्पना मिश्रा ने कहा कि बहुत खुशी की बात है कि भोजपुरियों में नवाचार शुरू हो गया है और महिलाओं को इस दिशा में आगे आकर अपने आप को सबित करने की जरूरत हैं इस अवसर पर अकादमी के सचिव ने कहा कि नारी को अब सशक्त करने की आवश्यकता हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

दमनक जहानाबादी की विफल-गाथा — गीताश्री की नई कहानी
वैनिला आइसक्रीम और चॉकलेट सॉस - अचला बंसल की कहानी
जंगल सफारी: बांधवगढ़ की सीता - मध्य प्रदेश का एक अविस्मरणीय यात्रा वृत्तांत - इंदिरा दाँगी
कहानी ... प्लीज मम्मी, किल मी ! - प्रेम भारद्वाज
अखिलेश की कहानी 'अँधेरा' | Hindi Kahani 'Andhera' by Akhilesh
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
समीक्षा: अँधेरा : सांप्रदायिक दंगे का ब्लैकआउट - विनोद तिवारी | Review of writer Akhilesh's Hindi story by Vinod Tiwari
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी