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गागर से सागर छलकाऊं
छोटी सी एक बात बताऊँ।।
ये पंछी क्या कुछ कहते है,
जब सूरज पश्चिम जाता है,
कहते है अब घर चलना है,
बच्चो से अपने मिलना है,
सपने बुनना है…
ये लहरे क्या कुछ कहती है,
जब नदिया बहती रहती है,
कहती है चलते रहना है,
सागर तक बढ़ते जाना है
मंजिल पाना है…
चन्दा तारे क्या कहते है,
जब रातो को खिल जाते है,
कहते है उजियार कराओ,
झिलमिल झिलमिल चमक फैलाओ,
तिमिर मिटाना है…
जीवन अपना क्या कहता है,
मानव को क्या समझाता है,
कहता है हंसते रहना है,
जीवन पथ को तय करना है,
खुशियाँ देना है…
असमर्थ ही रहे
स्वर,
सरगम,
गीत
चुपचाप ही बहे
वर्ण
शब्द
संवाद
सारे प्रतिवाद
होते है अनकहे
सिर्फ तब
जब दिल तुम्हे
अपना कहे
सिर्फ अपना…
4 टिप्पणियाँ
बेहतरीन अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंभावों का सुन्दरतम प्रस्तुति करण लाजवाब है .......शुभाशीष
जवाब देंहटाएंWah bahut sundar.... apratim... keep it up vstsala ji
हटाएंWah bahut sundar.... apratim.... keep it up vatsala ji
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