प्रवासी साहित्यकार समाज में पुल का काम करें - तेजेन्द्र शर्मा


ब्रिटेन के प्रमुख साहित्यकार तेजेन्द्र शर्मा ने कहा कि “ब्रिटेन के हिन्दी साहित्यकारों का उद्देश्य होना चाहिये कि उनका साहित्य ब्रिटिश हिन्दी साहित्य कहलाए ना कि भारत का प्रवासी हिन्दी साहित्य। हमें अपने साहित्य में से नॉस्टेलजिया को धीरे धीरे बाहर निकालना होगा। हमारे लेखन के सरोकार ब्रिटिश समाज के सरोकार होने चाहियें। मेरा मानना है कि प्रवासी साहित्यकारों को प्रवासी समाज एवं स्थानीय गोरे समाज के बीच एक पुल का काम करना चाहिये।”

तेजेन्द्र शर्मा कल यानि कि 28 सितम्बर 2013 को ब्रिटेन के लेस्टर शहर की लेस्टर मल्टीकल्चर एसोसिएशन के एक ख़ास कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अपनी बात श्रोताओं के सामने रख रहे थे।
संस्था ने युगाण्डा से चालीस साल पहले इदी अमीन द्वारा निकाले गये भारतीय मूल के लोगों के सम्मान में एक पूरा प्रोजेक्ट बनाया था। उनमें से अधिकांश भारत के गुजरात प्रान्त से सम्बन्ध रखते थे। इन भारतवंशियों ने ब्रिटेन में आकर यहां की संस्कृति को एक नया रंग दिया और भारतीय संस्कृति को ब्रिटेन में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

संस्था के सचिव श्री विनोद कोटेचा ने संस्था का परिचय देते हुए बताया कि उन्होंने तेजेन्द्र शर्मा को  अपनी 50 कविताओं का अंग्रेज़ी में अनुवाद करने की दावत दी और कहा कि अपने साहित्य के माध्यम से ये कविताएं प्रवासी जीवन स्थानीय लोगों के साथ साझा करें। उन्होंने श्रोताओं को बताया कि तेजेन्द्र शर्मा की कविताओं को दोनों भाषाओं में संकलन के रूप में प्रकाशित किया जाएगा।

कार्यक्रम के अन्त में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें डॉ. निखिल कौशिक (वेल्स), डॉ. अजय त्रिपाठी, परवेज़ मुज़फ़्फ़र, नरेन्द्र ग्रोवर (तीनों बर्मिंघम), नीना पॉल (लेस्टर) एवं स्वयं मैं यानि कि तेजेन्द्र शर्मा ने कविता पाठ किया।

प्रोजेक्ट की संयोजक सुखी ठक्कर ने प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से बताया। संचालन डॉ. राजीव वाधवा ने किया। लेस्टर की लेबर पार्टी काउंसलर एवं डिप्टी मेयर मंजुला सूद एवं रश्मिकान्त जोशी के अतिरिक्त भारतीय समाज के सम्मानित वयक्तित्व कार्यक्रम में मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन संस्था के अध्यक्ष सरदार गुरमेल सिंह दिया।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कहानी : भीगते साये — अजय रोहिल्ला
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
चित्तकोबरा क्या है? पढ़िए मृदुला गर्ग के उपन्यास का अंश - कुछ क्षण अँधेरा और पल सकता है | Chitkobra Upanyas - Mridula Garg
काली-पीली सरसों | ज्योति श्रीवास्तव की हिंदी कहानी | Shabdankan
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'