युवा साहिति - साहित्योत्सव 2014
साहित्य अकादेमी ने युवाओं को एक राष्ट्रीय मंच देने के लिए यह कार्यक्रम विशेष तौर से शुरू किया है। - के. श्रीनिवासराव
नई दिल्ली 13 मार्च।
साहित्य अकादेमी के साहित्योत्सव के तीसरे दिन आज आयोजित युवा साहिति कार्यक्रम में पूरे देश से आए 24 भारतीय भाषाओं के युवा कवियों ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत कीं।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए लीलाधर मंडलोई ने कहा कि कविता की सबसे बड़ी उपलब्धि यह होनी चाहिए कि वह अपने समय में झूठी साबित न हो। नवे दशक से शुरु हुई कविता आज तक धुंधलके में घिरी है। उसके पास अपना कोई केंद्रीय रूपक नहीं है। वर्तमान कविता आज भी उत्तर ढूँढ़ रही है।
आगे उन्होंने कहा कि युवा कविता का अभी सम्यक मूल्यांकन होना हैं। अभी न ही उसके पास आलोचक हैं और न ही उन पर केंद्रित पत्रिकाएँ। लेकिन मैं फिर भी आश्वस्त हूँ कि युवा कवि अलिखित त्रासदियों की तह तक पहुँचने और भूमंड़लीकरण तथा तकनीक के प्रभाव के बीच प्रतिरोध की आवाज को जिंदा रखेंगे।

इस अवसर पर साहित्य अकादेमी की नवोदय योजना के अंतर्गत प्रकाशित सात पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। इनमें दो हिंदी कवियों प्रभात (अपनों में नहीं रह पाने का गीत) और प्रांजल धर (अंतिम विदाई से तुरंत पहले) के कविता संग्रह भी शामिल हैं। अन्य विमोचित कविता-संग्रहों में दो अंग्रेज़ी तथा नेपाली, संताली, डोगरी के एक-एक संग्रह शामिल हैं।
इस अवसर पर मराठी-हिंदी के प्रख्यात अनुवादक प्रकाश भातंब्रेकर विशेष रूप से उपस्थित थे।
अगले तीन अन्य सत्रों में जिनकी अध्यक्षता क्रमशः जे.पी. दास, बलदेव वंशी, दिनेश कुमार शुक्ल ने की में 22 भाषाओं के युवा कवियों ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत कीं।
कार्यक्रम का संचालन अकादेमी उपसचिव ब्रजेन्द्र त्रिपाठी ने किया।
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