
इनाम....
शिवानी कोहली 'अनामिका
‘साहब, मेरा बेटा अपनी कक्षा में अव्वल आया है. इसे आशीर्वाद दो की बड़ा होकर खूब नाम कमाए..’
चल बेटा, मालिक के पावं छू कर आशीर्वाद ले.
राजेंदर साहिब ने उसे आशीर्वाद दिया और बोले, ‘खूब नाम कमाओ और ये लो मेरी तरफ से इनाम.’
‘मैं इस इनाम को कभी खर्च नही करूँगा.’
‘गोविंद, अपनी मालकिन को कहना मैने बुलाया है और हाँ चाय लाना एक कप.’
‘जी मालिक’
गोविंद और चमन उस कमरे से चले गये.
पापा मुझे तो कभी आपने इनाम नही दिया. मुझे तो आप हमेशा डाँटते रहते हो. मैं इस बार कितने अच्छे नंबर ले कर आया था.. फिर भी आप बोले की अभी और मन लगा कर पढ़ाई करने की ज़रूरत है.
बेटा, तुम नही जानते इन लोगो को हमारी कृपा की ज़रूरत होती है. हमारी दया के बिना ये लोग ऊपर की कमाई कैसे करेंगे. हम तुम्हे इनाम इसलिए नही देते क्योंकि हम तुम्हारी और तरक्की देखना चाहते हैं. ये छोटे लोग तो इस भीख को इनाम समझ लेते हैं और हलवा पूरी खाकर पलभर के लिए खुश हो जाते हैं....
कमरे के बाहर खड़े गोविंद के हाथ से चाय की ट्रे कुछ थरथराई...... और अपने बेटे के हाथ पर रखे गये उस इनाम में छुपी भीख को अपनी बदक़िस्मती समझ कर ताकता रहा.....
शिवानी कोहली 'अनामिका'
ईमेल: anamika1851983@yahoo.com
4 टिप्पणियाँ
एक अच्छी कहानी ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर....!!
हटाएंLAGHU KATHA SACHCHEE KO BAYAAN KARTEE HAI .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर....!!
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