राजेन्द्र जी के लिए
- भरत तिवारी
तूम वो मिट्टी हो, बने भगवान जिससे
होते हों पूरे कठिन अरमान जिससे
भूलना पड़ता है याद’ आने से पहले
तुम तो वो अहसास, आये जान जिससे
तुम तो वो हो छोड़ कर जाते नहीं जो
तुम तो वो हो, मिलती है पहचान जिससे
शब्द तेरे हों 'भरत' जब जब लिखे
तुम्ही वो ताक़त, हुआ कुछ नाम जिससे
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