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Ghazal: अभिषेक कुमार अम्बर, युवा शायर की ग़ज़लें
कविता—दोहे—ग़ज़ल—ओ—नज़्म :: गौरव त्रिपाठी
Ghazal: उलझ रहा हूं, सुलझ रहा हूं #प्रतापसोमवंशी ulajh raha hūñ @PratapSomvanshi
मैनें कब माँगी खुदाई मुस्कुराने के लिए... #shair #ghazal
खेल पुराना नई बिसातें — डॉ. मालविका की ग़ज़लें #shair #kavya
हज़ारों महफ़िलों की तू शमा था —  #राजेंद्र_यादव_जयंती —  भरत तिवारी
वही वाक़िये दोहराने लगे - भरत तिवारी #shair #ghazal
मैं ख़्याल हूँ किसी और का | Main Khayaal Hun Kisi Aur Ka | میں خیال ہوں کسی اور کا
भरत तिवारी: एक ग़ज़ल  | A Ghazal - Bharat Tiwari
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं / bahut pahle se un qadmon ki aahaT jaan lete hain - Firaq Gorakhpuri
हैप्पी बर्थडे राजेन्द्रजी | Happy Birthday Rajendra Yadav Ji
गुलज़ार - दिखाई देते हैं, धुन्ध में अब भी साये कोई | #Ghazal #Gulzar
असग़र वजाहत की यादें - सुरेन्द्र राजन | Asghar Wajahat on Surendra Rajan
असग़र वजाहत की यादें - मुईन अहसान 'जज़्बी' | Asghar Wajahat on Moin Ahsan 'Jazbi'
चार ग़ज़लें   ~ प्राण शर्मा | #Ghazal : Pran Sharma #Shair
ग़ज़लों में यथार्थ ~ प्रताप सोमवंशी | Ghazals of Pratap Somvanshi
ग़ज़ल के लिए मीटर के अनुशासन की ज़रूरत होती है - देवी नागरानी |  Sudha Om Dhingra's Conversation with Devi Nangrani
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