रेणु हुसैन की 5 गज़लें और परिचय: प्रेम और संवेदना की शायरी | Shabdankan

रेणु हुसैन की गज़लें: प्रेम और संवेदना की शायरी, नई दिल्ली की शिक्षिका और कवयित्री

लेखक:

प्रकाशन तिथि: 23 अप्रैल 2025


रेणु हुसैन की 5 गज़लें

यहाँ प्रस्तुत हैं रेणु हुसैन की पाँच चुनिंदा गज़लें, जो उनकी संवेदनशीलता, प्रेम और सामाजिक चेतना को दर्शाती हैं।


गज़ल 1

मेरे  दिल से मेरी शाइस्तगी से चाहते क्या हो
मेरे मासूम दिल की बेकली से चाहते क्या हो

शमा परवाने हैं हम तुम मुहब्बत की कहानी में
कहो इससे ज़ियादा आशिक़ी से चाहते क्या हो

सताए भी मुझे कोई तो हँसकर माफ़ कर दूँ मैं
दिले नादान  की इस दिल्लगी से चाहते क्या हो

मैं तेरे सामने तो हूँ मगर दिल में नहीं शायद
बताओ तुम मेरी लाचारगी से चाहते क्या हो

सलामत इश्क़ हो मेरा फ़क़त है ये दुआ मेरी
अलावा  इसके मेरी  बंदगी से चाहते क्या हो

किसी की दास्तान-ए-इश्क़ को इसने सम्भाला है
पुरानी पड़ गई बरादरी से चाहते क्या हो

बमुश्किल मैं समझ पाई त’अल्लुक़ ऊला सानी का
भला अब और मेरी शायरी से चाहते क्या हो

ज़मीं से उठ के उड़ने सी लगी हूँ आजकल तो मैं
ज़रा सी मिल गई मुझको ख़ुशी से चाहते क्या हो


गज़ल 2

इस से पहले कि फ़ैसला हो जाए
रास्ता दोनों का जुदा हो जाए

ये तबस्सुम जो बारहा हो जाए
उनसे बातों का सिलसिला हो जाए

ये नज़र अचानक उनसे जो मिल जाए
खूबसूरत ये हादसा हो जाए

बिन कहे वो पढ़ सके दिल मेरा
चेहरा दिल का आईना हो जाए

रंग जाऊँ मैं इश्क़ में उसके
अब मुहब्बत मेरी, हिना हो जाए

फिर बहक जाने की ज़रूरत क्या
उसका पहलू ही मयकदा हो जाए

है तग़ाफ़ुल तेरा क़ुबूल मुझे
नाम तेरे मेरी वफ़ा हो जाए


गज़ल 3

मेरे दिल से ग़मे हालात माँगने वाले
मैं तेरे साथ हूँ जज़्बात माँगने वाले

नज़र ये प्यार भरी और ज़िंदगी मेरी
है तेरे नाम ही, सौग़ात माँगने वाले

गुज़ार दूँगी मैं भी ज़िंदगी उसी पल में
मुझसे इक पल की मुलाक़ात माँगने वाले

किसी ने दिल, बड़े अरमान से सजाया है
इसे न तोड़ना, ए हाथ माँगने वाले

सहर में तुझको मिले आफ़ताब शायद ही
तू सोच और समझ, रात माँगने वाले

जिन्होंने आब की क़ीमत कभी नहीं जानी
उस सफ़ में तू भी है, बरसात माँगने वाले

दिया ख़ुदा ने तुझे बेहिसाब ही सबकुछ
मना ले शुक्र इनायत माँगने वाले

किसी को रेणु वो दिल से भी क्या दे पायेंगे
जो लोग सबसे हैं ख़ैरात माँगने वाले


गज़ल 4

किसी के प्यार का अरमान, रोक लेता है
मुझे, मेरा, दिले नादान, रोक लेता है

किसी भी शक्ल में, रहता है मेरे साथ ही वो तो
मुझे वो कह के, मेरी जान, रोक लेता है

है मेरे हाथ में जो हाथ उसका क्या ही कहूँ
बुरी नज़र न हो अयमान रोक लेता है

मुझे क़ुबूल है वो, शामिले हयात रहे
कहीं भी जाऊँ वो सुलतान रोक लेता है

वो कोई ग़ैर नहीं, दिल भी है, मेरी जाँ भी
उसी नज़र का है फ़रमान रोक लेता है

है उसके चेहरे पे तहरीर बस वफ़ा की ही
मुझे तो इश्क़ का दीवान रोक लेता है

वो मेरे पास है जहां की इशरतों जैसा
उसी के पहलू का ज़ीशान रोक लेता है

ये भारी बोझ कहाँ नातवाँ से उठेगा
सफ़र न इश्क़ ही आसान, रोक लेता है

वो है ख़याल मेरा, रेणु, है इरादा भी
मेरा सा बनके वो अंजान रोक लेता है


गज़ल 5

जो तूफ़ाँ को हराता है नतीजा देख सकता है
उठाकर सर, बुलंदी का सितारा देख सकता है

मुहब्बत है भला क्या शय बखूबी जानता है दिल
हुआ क्या हश्र, ये, मेरा तुम्हारा देख सकता है

चली हूँ दश्तो सहरा में, तुम्हारी दीद की ख़ातिर
मेरी इस तिश्नगी को ये ज़माना देख सकता है

छिपा लो लाख पर्दों में मगर छिपना है नामुमकिन
ये दिल वो आईना है जो इशारा देख सकता है

तसव्वुर में सजाती है न जाने कितने सपने माँ
फ़क़त ये माँ की आँखों का ही तारा देख सकता है

यहाँ भूकंप का झटका ज़रा सा ज़ोर से आया
सताने का, ज़मीं को, हश्र बंदा देख सकता है

रेणु हुसैन का परिचय

शिक्षिका और दिल से एक कवि, लेखिका, रेणु हुसैन नई दिल्ली के एक सरकारी स्कूल, सर्वोदय विद्यालय में एक अंग्रेजी शिक्षिका हैं और एक कवयित्री भी हैं। उनके तीन कविता संग्रह "पागल प्यार", "जैसा" और "घर की औरतें और चाँद" राजकमल प्रकाशन से और एक कहानी संग्रह "गुंटी" अधिकार प्रकाशन से प्रकाशित हो चुके हैं।

रेणु हुसैन की कविताओं और कहानियों में दर्द, संवेदना और सौहार्द की झलक साफ़ दिखती है।

प्रेम उनकी कविता का आधार है। उनकी शायरी में प्रेम के संयोग और वियोग के साथ-साथ नए और अनूठे रूप भी देखने को मिलते हैं। उनकी कविताओं में प्रेम पनपने से लेकर खुले इंद्रधनुषी आकाश तक गहराई, गंभीरता और गहराइयों को छूता हुआ भी नज़र आता है और जो युवा मन को पंख देती हैं और हर युवा को बुलंदियाँ छूने के लिए प्रेरित करती हैं।

सर्व भाषा ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित उनका पहला ग़ज़ल संग्रह "मैं हूँ मुंतज़िर तेरे वास्ते" भी विश्व पुस्तक मेले 2024 में लॉन्च किया गया। रेणु हुसैन की ग़ज़लें इंसानी रिश्तों और सामाजिक ताने-बाने में औरत के हक़ को संवेदनाओं के साथ उकेरती हैं।

बहुत खामोश सी दिखने वाली और संकोच के साये में अपनी शख्सियत के रेशे-रेशे बुनने वाली रेणु हुसैन जब कविता की पगडंडियों से होकर शायरी की दहलीज़ पर कदम रखती हैं, उनकी अभिव्यक्ति बहुत ही दिलकश होकर हमारे सामने आती है।

एक शिक्षिका के रूप में उनके आदर्श और उत्कृष्टता शिक्षकों और छात्रों के लिए प्रेरणा हैं। रेणु हुसैन कई गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से भी समाज सेवा से जुड़ी हुई हैं।


रेणु हुसैन की शायरी क्यों पढ़ें?

रेणु हुसैन की शायरी में प्रेम, दर्द, और सामाजिक संवेदना का अनोखा संगम है। उनकी गज़लें न केवल दिल को छूती हैं, बल्कि पाठकों को गहरे चिंतन के लिए भी प्रेरित करती हैं। यदि आप हिंदी शायरी और गज़लों के शौकीन हैं, तो रेणु हुसैन की ये रचनाएँ आपके लिए एक साहित्यिक अनुभव होंगी।

क्या आपने रेणु हुसैन की गज़लें पढ़ीं? अपने विचार कमेंट्स में साझा करें! 📖 और इस शायरी को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।


००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
चित्तकोबरा क्या है? पढ़िए मृदुला गर्ग के उपन्यास का अंश - कुछ क्षण अँधेरा और पल सकता है | Chitkobra Upanyas - Mridula Garg
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES