असग़र वजाहत की यादें - सुरेन्द्र राजन | Asghar Wajahat on Surendra Rajan


सुरेन्द्र राजन

~ असग़र वजाहत की यादें


सुरेन्द्र राजन को कौन नहीं जानता. जिसे फिल्म, कला और साहित्य में गंभीर दिलचस्पी होगी वह राजन जी को न जानता हो, यह शायद संभव नहीं है. फिल्म ‘मुन्नाभाई...’ में जादू की झप्पी वाले, एयरटेल के प्रसिद्ध विज्ञापन ...’ अब तू रुलाएगा क्या...’ वाले राजन जी अपनी तरह के निराले आदमी हैं. मूलरूप से चित्रकार राजन जी को जब कला के क्षेत्र में राष्ट्रीय सम्मान मिलने लगे तो उन्होंने चित्रकला छोड़ दी और फोटोग्राफी करने लगे. फोटोग्राफी में अंतर्राष्ट्रीय सम्मान मिले तो उन्होंने फोटोग्राफी बंद कर दी और अचानक मुम्बई जाकर अभिनय करने लगे. सैकड़ों फिल्मों और विज्ञापन फिल्मों में बढ़िया कम करने और अभिनय के क्षेत्र में जम जाने के बाद वहां से सन्यास ले लिया.

राजन जी के पास अनुभवों का खज़ाना है. उन्होंने अपने पूर्वजो का एक प्रसंग सुनाया था जो मै आप को भी सुनाना चाहता हूँ.

मध्य प्रदेश में एक अजय गढ़ नाम की रियासत थी. कई पीढ़ियों से राजन जी का परिवार वहां के महाराजा का अंग रक्षक हुआ करता था. परिवार के एक बुज़ुर्ग महाराजा के अंग रक्षक थे. उनकी काफी उम्र हो गयी थी. इतने बूढ़े हो गए थे की उनका बेटा उन्हें लेकर राज दरबार जाता था और रात में वापस लाता था. वे मर जाते तो बेटा अंग रक्षक बनता. पर वे मर ही नहीं रहे थे.

एक बार रात को दोनों राज दरबार से लौट रहे थे. बूढ़े अंग रक्षक को झाड़ी के पीछे जाने की आवश्यकता महसूस हुई. उन्होंने अपनी तलवार बेटे को पकड़ा दी और झाड़ी के पीछे जा कर बैठ गए. बेटे के मन में पता नहीं क्या आया कि म्यान से तलवार निकल कर बूढ़े बाप पर वार किया और भागने लगा. बूढ़ा बाप चिल्लाया – इधर आओ ...  इधर आओ...  बात सुनो... रुक जाओ...’

लड़का पास आया तो बूढ़े पिता ने कहा - मूर्ख, ये कैसा वार किया है... कोई ऐसा उचटता हुआ वार करता है.... तलवार को सिर के बीचों बीच पड़ना चाहिए था... ये जख्म तो मैं किसी को दिखा भी नहीं सकता ... लोग कहेंगे किस अनाड़ी ने वार किया है... मेरी गर्दन शर्म से झुक जायेगी जब लोगों को पता चलेगा ये वार तुमने किया है... इतने साल तुम्हे तलवारबाजी सिखाई ... सब बेकार गया..’


००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
चित्तकोबरा क्या है? पढ़िए मृदुला गर्ग के उपन्यास का अंश - कुछ क्षण अँधेरा और पल सकता है | Chitkobra Upanyas - Mridula Garg
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Hindi Story: दादी माँ — शिवप्रसाद सिंह की कहानी | Dadi Maa By Shivprasad Singh