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कविता—दोहे—ग़ज़ल—ओ—नज़्म :: गौरव त्रिपाठी
Ghazal: उलझ रहा हूं, सुलझ रहा हूं #प्रतापसोमवंशी ulajh raha hūñ @PratapSomvanshi
मैनें कब माँगी खुदाई मुस्कुराने के लिए... #shair #ghazal
उर्दू को कोई ख़तरा नहीं है
वो जला रहे हैं ये गुलिस्तां | #भरत_तिवारी
विडंबना-ए-हिंदी-ओ-उर्दू :मृणाल पाण्डे | #Hindi #Urdu
गुलज़ार - खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो? #Gulzar Nazm - Khali Kagaz...
नज़्म : ये टोपी और तिलक-धारी  ~ आलोक श्रीवास्तव | Nazm by Aalok Shrivastav
हैप्पी बर्थडे राजेन्द्रजी | Happy Birthday Rajendra Yadav Ji
गुलज़ार - दिखाई देते हैं, धुन्ध में अब भी साये कोई | #Ghazal #Gulzar
असग़र वजाहत की यादें - सुरेन्द्र राजन | Asghar Wajahat on Surendra Rajan
असग़र वजाहत की यादें - मुईन अहसान 'जज़्बी' | Asghar Wajahat on Moin Ahsan 'Jazbi'
चार ग़ज़लें   ~ प्राण शर्मा | #Ghazal : Pran Sharma #Shair
ये शे’र किसका है ???  क़मर सिद्दीकी वाया असग़र वजाहत | Whose Sher is it ?
ग़ज़लों में यथार्थ ~ प्रताप सोमवंशी | Ghazals of Pratap Somvanshi
 कनाडा में हुआ 'इ-काव्य संकलन' - "रंग और नूर" का विमोचन | Rang Aur Noor E-Book (Hindi & Urdu Poetry)
ग़ज़ल के लिए मीटर के अनुशासन की ज़रूरत होती है - देवी नागरानी |  Sudha Om Dhingra's Conversation with Devi Nangrani
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