वो जला रहे हैं ये गुलिस्तां
— भरत तिवारी
वो जला रहे हैं ये गुलिस्तां
हो बुझाने वालों तुम कहाँ
यहाँ आग घर तक पहुँच रही
जो तुम अब भी यों ही खड़े रहे
जलता हुआ घर देखते
तो घर कहाँ से लाओगे
जल जायेगा जब सब यहाँ
न रहेगा तब जब ये जहाँ
वो रहेंगे क्या तब भी यहाँ
जो जला रहे हैं ये गुलिस्तां
जो भूले हो अब लौट लो
मुहब्बतें फिर सीख लो
सबसे गले जा के मिलो
हारी जो दुनिया जीत लो
वो जला रहे हैं ये गुलिस्तां
हो बुझाने वालों तुम कहाँ
हो बुझाने वालों तुम कहाँ
यहाँ आग घर तक पहुँच रही
जो तुम अब भी यों ही खड़े रहे
जलता हुआ घर देखते
तो घर कहाँ से लाओगे
जल जायेगा जब सब यहाँ
न रहेगा तब जब ये जहाँ
वो रहेंगे क्या तब भी यहाँ
जो जला रहे हैं ये गुलिस्तां
जो भूले हो अब लौट लो
मुहब्बतें फिर सीख लो
सबसे गले जा के मिलो
हारी जो दुनिया जीत लो
वो जला रहे हैं ये गुलिस्तां
हो बुझाने वालों तुम कहाँ
0 टिप्पणियाँ