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कविता—दोहे—ग़ज़ल—ओ—नज़्म :: गौरव त्रिपाठी
आसिफा —  सईदा हामिद की दो नज़्में | #Asifa
वो जला रहे हैं ये गुलिस्तां | #भरत_तिवारी
गुलज़ार - खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो? #Gulzar Nazm - Khali Kagaz...
नज़्म : ये टोपी और तिलक-धारी  ~ आलोक श्रीवास्तव | Nazm by Aalok Shrivastav
नज़्में - सचिन राय | Nazm - Sachin Rai
गुलज़ार : क्या कोई फ़लक पर चाँद रखने आ रहा है? #Gulzar
गुलज़ार : मैं नीचे चल के रहता हूं.... जनाज़ा #Gulzar
गुलज़ार: 1857 | #Gulzar : 1857
गुलज़ार: को-पायलट* | #Gulzar : Co-pilot
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