Vahi waqiye dohrane lage / Jinhe bhulne me zamane lage - Bharat Tiwari
वही वाक़िये दोहराने लगेजिन्हें भूलने में ज़माने लगे
घिरा मुल्क उनसे जो तोड़ा किये
जो जोड़े हैं उनपे निशाने लगे
जभी जानवर पे सियासत हुई
ग़रीबों के दम घुंट के जाने लगे
जहाँ बात मजहब की हो हर समय
वहीँ दहशतों के ठिकाने लगे
फिर उनकी जुबानें कटीं आज हैं
जो आज़ादियों को बुलाने लगे
'भरत' देख बापू मरे आज फिर
दिखी चील , गिद्ध मंडराने लगे
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1 टिप्पणियाँ
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (26-08-2016) को "जन्मे कन्हाई" (चर्चा अंक-2446) पर भी होगी।
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'