वही वाक़िये दोहराने लगे - भरत तिवारी #shair #ghazal



Vahi waqiye dohrane lage / Jinhe bhulne me zamane lage - Bharat Tiwari

वही       वाक़िये    दोहराने     लगे
जिन्हें    भूलने   में    ज़माने   लगे

घिरा   मुल्क  उनसे  जो  तोड़ा किये
जो  जोड़े   हैं  उनपे   निशाने  लगे





जभी   जानवर   पे   सियासत  हुई
ग़रीबों  के  दम  घुंट  के  जाने लगे

जहाँ  बात  मजहब की हो हर समय
वहीँ   दहशतों  के   ठिकाने    लगे

फिर उनकी  जुबानें  कटीं  आज  हैं
जो   आज़ादियों  को   बुलाने  लगे

'भरत'   देख  बापू  मरे  आज  फिर
दिखी  चील ,  गिद्ध   मंडराने  लगे





००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (26-08-2016) को "जन्मे कन्हाई" (चर्चा अंक-2446) पर भी होगी।
    --
    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं

ये पढ़ी हैं आपने?

सितारों के बीच टँका है एक घर – उमा शंकर चौधरी
 प्रेमचंद के फटे जूते — हरिशंकर परसाई Premchand ke phate joote hindi premchand ki kahani
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Hindi Story: दादी माँ — शिवप्रसाद सिंह की कहानी | Dadi Maa By Shivprasad Singh
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
तू तौ वहां रह्यौ ऐ, कहानी सुनाय सकै जामिआ की — अशोक चक्रधर | #जामिया
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
मन्नू भंडारी की कहानी — 'रानी माँ का चबूतरा' | Manu Bhandari Short Story in Hindi - 'Rani Maa ka Chabutra'
वैनिला आइसक्रीम और चॉकलेट सॉस - अचला बंसल की कहानी