प्रथम 'आपस सम्मान' विजय रंजन को मिला | First 'Aapas Samman' to Vijay Ranjan


साहित्य निरन्तर जीने की प्रेरणा देता है ...

बीते दिनों फैजाबाद के प्रेस क्लब में आयोजित सम्मान समारोह में विजय रंजन को प्रथम 'आपस सम्मान' से नवाज़ा गया


संघर्ष और अंग्निपक्षी संवेदनाओं का संवाहक है, मानबहादुर सिंह की कविताएं वहां से आती हैं जहां भूख, प्यास, हमारी वासनाएं खेत में ही पैदा होती हैं। असल में यह उनकी कविता का मेनोफेस्टो है। लोक जीवन से जुड़ी कविताएं आकुलता, विडम्बना के खिलाफ लगातार आवाज उठाती हैं। कविता उन्हें आसानी से  मिली थी, या किसी मित्र ने नहीं दिया था, बल्कि संघर्ष से दो दो हाथ करते हुए कविता का साथ हो गया। उक्त विचार के.एन.आई. सुल्तानपुर के हिन्दी विभागाध्यक्ष, आलोचक डॉ. राधेश्याम सिंह के हैं। वे आचार्य विश्वनाथ पाठक शोध संस्थान (आपस) द्वारा प्रेस क्लब में आयोजित मानबहादुर सिंह की कविता विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। डॉ. राधेश्याम सिंह ने मानबहादुर सिंह की कविता ‘बीड़ी बुझने के करीब’ से लेकर ’आदमी का दुख’ तक का विषद विवेचन प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ दयानंद सिंह मृदुल की सरस्वती वंदना से हुआ। संस्थान के निदेशक डॉ. विन्ध्यमणि ने अतिथियों के प्रति स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया। इसके उपरान्त मुख्य अतिथि अवधी आंदोलन के प्रस्तोता डॉ. रामबहादुर मिश्रा और अध्यक्षता कर रहे डॉ. माधव प्रसाद पाण्डेय ने साहित्यकार विजय रंजन को आचार्य विश्वनाथ पाठक की स्मृति में दिया जाने वाला ‘आपस सम्मान’ प्रदान किया। आलोचक डॉ. रघुवंशमणि और डॉ. सुशील कुमार पाण्डेय साहित्येन्दु ने विजय रंजन के रचना कर्म पर विश्लेषण प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि डॉ. रामबहादुर मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा साहित्य निरन्तर जीने की प्रेरणा देता है, यह प्रेरणा मानबहादुर सिंह की कविताओं से और प्रेरित होती है। अध्यक्षता कर रहे अमेठी कालेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. माधव प्रसाद पाण्डेय ने कहा विजय रंजन का सम्मान साहित्यिक निरन्तरता को पुष्ट करता है।


समारोह में फैजाबाद के डॉ. सत्यप्रकाश त्रिपाठी, डॉ. ललित मोहन पाण्डेय, स्वप्निल श्रीवास्तव, कृष्ण प्रताप सिंह, आर.डी. आनन्द, सौमित्र मिश्र, डॉ. नीलमणि सिंह, डॉ. पवन, डॉ. सुधान्शु वर्मा, डॉ. सुमति दूबे, पूनम सूद, उषा किरण शुक्ल, डॉ. ओंकार त्रिपाठी और साहित्य सेवियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अन्त में संस्थान के निदेशक और संचालक डॉ. विन्ध्यमणि ने आभार व्यक्त किया। 

००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
चित्तकोबरा क्या है? पढ़िए मृदुला गर्ग के उपन्यास का अंश - कुछ क्षण अँधेरा और पल सकता है | Chitkobra Upanyas - Mridula Garg
मन्नू भंडारी: कहानी - एक कहानी यह भी (आत्मकथ्य)  Manu Bhandari - Hindi Kahani - Atmakathy
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
Harvard, Columbia, Yale, Stanford, Tufts and other US university student & alumni STATEMENT ON POLICE BRUTALITY ON UNIVERSITY CAMPUSES
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل