नवाब शुजाउद्दौला बहादुर को शहर की दुरुस्ती का ऐसा शौक़ था कि हर सुबह-शाम सवार होकर सड़कों और मकानों का मुआयना करते। मजदूर फड़वे और कुदालें लिए हुए सा…
जी-जान से पत्रकारिता कर रहे उमेश सिंह फ़ैजाबाद से हैं पिछले कुछ वर्षों से 'अमर उजाला' फैज़ाबाद संस्करण सम्हाल रहे हैं . इलाहबाद वि.वि. …
साहित्य निरन्तर जीने की प्रेरणा देता है ... बीते दिनों फैजाबाद के प्रेस क्लब में आयोजित सम्मान समारोह में विजय रंजन को प्रथम 'आपस सम्…
व्यापारी भी इंसान है सुशील जायसवाल उत्तर प्रदेश के अतिमहत्वपूर्ण जनपद फैजाबाद में अराजकता आख़िर क्यों बढ़ रही है। हाल में ही हुई तीन व्याप…
कवितायेँ: स्वप्निल श्रीवास्तव ♒ बांसुरी मैं बांस का टुकड़ा था तुमने यातना देकर मुझे बांसुरी बनाया मैं तुम्हारे आनंद के लिये बजता रहा फ…
"प्रभावपूर्ण साहित्य अवश्य ही लोक भाषा के निकट होगा। श्रम की भाषा और जीवन का अनुभव लोक पक्षधरता को तय करता है। साहित्य का लोकपक्ष अपने समय का …