head advt

कुमार मुकुल: कविताएं - उम्र के भीतर ...|Kumar Mukul kavita


उम्र के भीतर अमरता स्थिर किए... कविताएं – कुमार मुकुल | Poems of Kumar Mukul
....

कविताएं 

– कुमार मुकुल 


उम्र के भीतर अमरता स्थिर किए

आधी उम्र गुजार चुका
कोई ठिकाना नहीं बना
अब तक
उम्र के भीतर अमरता स्थिर किए... कविताएं – कुमार मुकुल | Poems of Kumar Mukul
क्या पिछले जन्म में
चिडिया था मैं
इस उस डाल
बसेरा करता
भाडे का एक कमरा है
अपनी उतरनें, यादें लिए
गुजरता जा रहा
तमाम जगहों से
पचासेक किताबें
किसी की छोडी फोल्डिंग
पुरानी तोसक
सिमट सूख चुकी जयपुरिया रजाई
किसी की भेंट की गुलाबी तश्तरियां
मोमबत्ती, पॉल कोल्हे की किताबें
बीतें समय की यादगाह
कंम्प्यूटर
सब चले चल रहे साथ

मुझको ढकेलते हुए
मेरी उम्र के भीतर
अपनी अमरता को स्थिर किए
आती जाती नौकरियां
बहाना देती रहती हैं
जीने भर
और एक सितारा
एक कतरा चांद
आधी अधूरी रातों में
बढाते है उंगलियां
जिनके तरल रौशन स्पर्श में
ढूंढ लेता हूं
अंधेरी गली का अपना कमरा
जहां एक बिछावन
मेरी मुद्राओं की छाप लिए
इंतजार कर रहा होता है
जहां रैक पर जमी
भुतही छायाओं सी
मुस्कराती किताबें
मेरा स्वागत करती हैं।

अपनेपन के मारे

अपनेपन के मारे
बारहा
पत्थर फेंकते आ रहे हैं वे
गोया हम
हाड-मांस के पुतले नहीं
अमर पत्थर हों
हमारी आंखों में उन्हें
कुछ नहीं दीखता
जिबह किए जाने को तैयार
बछडों की तरह
जीवित रहने भर को
दाना पानी देते हुए
अपने झूठ पजाते आ रहे
युगों से वो।



अवसाद

अब
आईना ही
घूरता है मुझे
और पार देखता है मेरे
उम्र के भीतर अमरता स्थिर किए... कविताएं – कुमार मुकुल | Poems of Kumar Mukul
तो शून्‍य नजर आता है
शून्‍य में चलती है
धूप की विराट नाव
पर अब वह
चांदनी की उज्‍जवल नदी में
नहीं बदलती
चांद की हंसिए सी धार अब
रेतती है स्‍वप्‍न
और धवल चांदनी में
शमशानों की राखपुती देह
अकडती चली जाती है
जहां खडखडाता है दुख
पीपल के प्रेत सा
अडभंगी घजा लिए
आता है
जाता है
कि चीखती है
आशा की प्रेतनी
सफेद जटा फैलाए
हू हू हू
हा हा हा
आ आ आ
हतवाक दिशाए

कुमार मुकुल

राजस्थान पत्रिका
डिजिटल फीचर सेक्शन
जयपुर

संपर्क:
मोती डुन्गरी.
45 गणेश नगर,
जयपुर
मो०: 08769942898
ईमेल: kumarmukul07@gmail.com
सिरा जाती हैं अंतत:
सिरहाने
मेरे ही

मेरे ही कंधों चढ
धांगता है मुझे ही
समय का सर्वग्रासी कबंध
कि पुकार मेरे भीतर की
तोडती है दम
मेरे भीतर ही डांसती है रात
कि शिथिलगात मेरे
दलकते जाते हैं
दलकते जाते हैं ...।

००००००००००००००००
गलत
आपकी सदस्यता सफल हो गई है.

शब्दांकन को अपनी ईमेल / व्हाट्सऐप पर पढ़ने के लिए जुड़ें 

The WHATSAPP field must contain between 6 and 19 digits and include the country code without using +/0 (e.g. 1xxxxxxxxxx for the United States)
?