मनोज तिवारीजी क्या बीजेपी के कार्यकर्ता लेबोरेट्री के चूहे हैं ?— सुजाता मिश्रा



बीजेपी की प्रदेश मीटिंग में हंगामा

निगम पार्षदों को बुलाकर कहा है कि इस वर्ष अप्रैल में होने वाले नगर निगम चुनावों में किसी भी वर्तमान पार्षद या उनके परिजनों को टिकट नही दिया जाएगा 





दिल्ली प्रदेश बीजेपी ने आज अपने निगम पार्षदों को बुलाकर कहा है कि इस वर्ष अप्रैल में होने वाले नगर निगम चुनावों में किसी भी वर्तमान पार्षद या उनके परिजनों को टिकट नही दिया जाएगा, क्योंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल जी ने बीजेपी द्वारा संचालित नगर निगम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। कल यही बात बीजेपी दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारीजी ने प्रेस कांफ्रेंस करके कही। यह मौजूदा पार्षदों का अपमान है, आपको पुराने पार्षदों को टिकट नही देना आप मत दीजिये, पर इस तरह प्रेस कांफ्रेंस करके ये बयान देना कि "क्योंकि हमारे पार्षदों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं अतः हम उन्हें टिकट नही देंगे" मने आप खुद मान रहे हो कि आपके नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भ्रष्टाचार किया है?
मनोज तिवारी जैसे लोग जो दिनभर किसी न किसी चैनल में नाचते-गाते ही दिखते हैं, कभी किसी तरह की गम्भीर चर्चा में जिस व्यक्ति को नही देखा जाता...

Dr Sujata Mishra
और परिवारवाद भी कब लागू होगा कब नही, कब परिवारवाद सही है, कब नहीं यह भी आप ही तय करोगे? हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में तो जमकर अपने परिजनों को टिकट दिया गया, और अब अचानक आप परिवारवाद के खिलाफ हो गए? अपने ही हिसाब से परिवारवाद की परिभाषा भी बदल दी? मेरी नज़र में अयोग्य व्यक्ति को महज रिश्तेदार होने के चलते राजनीति में लाना गलत है, किन्तु अपने परिवार से योग्य और दक्ष व्यक्ति को राजनीति में लाना कतई गलत नही है।

आज राजनीति कोई समाज सेवा नही है, एक व्यक्ति यदि फुल टाइम राजनीति को देता है तो राजनीति ही उसका पेशा है, एक डॉ का बेटा डॉ बनता है, वकील का बेटा वकील बनता है तो एक राजनेता का बेटा राजनीति में क्यों नही आ सकता? यदि वो योग्य है तो उसे आना ही चाहिए । पर बीजेपी वाले तो अपनी ही मर्ज़ी से परिवारवाद की परिभाषा गढ़ते-बदलते रहते हैं। किसी भी राजनीतिक दल में सभी न तो ईमानदार होते हैं, न सभी भ्रष्ट होते हैं। ज़मीन से जुड़े कई कार्यकर्ता हैं बीजेपी में, जो मौजूदा वक़्त में निगम पार्षद भी है।

आप मत दीजिये टिकट कोई बात नही, नए लोगो को मौका मिलना ही चाहिए, पर कम से कम अपने प्रवक्ताओं को सही भाषा का प्रयोग तो सिखाइये, मनोज तिवारी जैसे लोग जो दिनभर किसी न किसी चैनल में नाचते-गाते ही दिखते हैं, कभी किसी तरह की गम्भीर चर्चा में जिस व्यक्ति को नही देखा जाता, उन्हें आपने महज़ पूर्वांचल का वोट पाने हेतु प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है। जिस व्यक्ति को इतनी सेन्स तक नही है कि पहले यह विषय अपने पार्षदों के बीच रखता, उनकी बात सुनता फिर पार्टी आलाकमान तक उनकी बात पहुंचाता, और फिर फैसला लेकर प्रेस कांफ्रेंस करता। पर जनाब ने पहले प्रेस कांफ्रेंस की, फिर अपने पार्षदों को बताया और अब जब पार्षदों ने इस फैसले का विरोध किया है तो कहते हैं हम आपकी बात आलाकमान तक पहुंचाएंगे।

22 अप्रैल को दिल्ली नगर निगम के चुनाव है, ऐसे वक़्त में एकाएक लिए गए इस फैसले से कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया है। आज बीजेपी की प्रदेश मीटिंग में बहुत हंगामा हुआ है। कई पार्षद और उनके समर्थक रोने लगे थे, कि किस मुंह से घर जाए? हमारी पार्टी ही हमे भ्रष्ट कह रही है। टिकट बिना ये सब तमाशा किये भी काटा जा सकता था, नए लोगो को चुपचाप टिकट दिया जा सकता था। पर विरोधी पार्टी द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप मात्र के चलते अपने पार्षदों का ऐसा अपमान कर, ऐसा तमाशा कर बीजेपी दिल्ली प्रदेश ने ईमानदार पार्षदों के गाल पर तमाचा मारा है और विपक्ष के आरोपों पर सहमति की मोहर भी लगायी है। विधानसभा चुनावों में मिली जीत से जहाँ सब कार्यकर्ता जोश में थे. वहीँ अब निराशा और मायूसी का माहौल है, मने बीजेपी के लिए इनके कार्यकर्ता लेबोरेट्री के चूहे हैं, जिनपर ये जब चाहे, जैसा चाहे प्रयोग करते रहें।

ईमेल: Sujata0630@gmail.com

(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
विडियो में कविता: कौन जो बतलाये सच  — गिरधर राठी
इरफ़ान ख़ान, गहरी आंखों और समंदर-सी प्रतिभा वाला कलाकार  — यूनुस ख़ान
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
परिन्दों का लौटना: उर्मिला शिरीष की भावुक प्रेम कहानी 2025
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
रेणु हुसैन की 5 गज़लें और परिचय: प्रेम और संवेदना की शायरी | Shabdankan
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना
द ग्रेट कंचना सर्कस: मृदुला गर्ग की भूमिका - विश्वास पाटील की साहसिक कथा