आइये मेरे जैसे स्वार्थी बन जाइये
— अभिसार शर्मा

मैं नहीं चाहता के भारतीय Passport शर्मिन्दगी का सबब बने। — अभिसार शर्मा

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Photo: dawn.com |
मैं यह नहीं चाहता के बड़े होकर, मेरे बच्चे मुझसे कहें कि ‘तुमने इस अन्याय का विरोध नहीं किया और अब तुम्हारी खामोशी का खामियाजा हम भुगत रहे हैं।‘ — अभिसार शर्मा
इन गौ-आतंकियों ने मेरे देश की अस्मिता, उसके वर्चस्व पर हमला किया है। ये लोग मेरे देश को बदनाम कर रहे हैं। ये मुझे स्वीकार नहीं। मैं यह नहीं चाहता के बड़े होकर, मेरे बच्चे मुझसे कहें कि ‘तुमने इस अन्याय का विरोध नहीं किया और अब तुम्हारी खामोशी का खामियाजा हम भुगत रहे हैं।‘ मैं इसलिये नफरत की वहशत के खिलाफ बोल रहा हूँ। वर्तमान सरकार और उसकी विचारधारा के चाटुकार एक समानांतर Propaganda के ज़रिये आपको बताने की कोशिश करेंगे कि गाय के नाम पर हत्या कोई नई बात नहीं है। ये लोग सरकारी आंकडों को भी नजरअंदाज करेंगे। समझिये, ये सिर्फ हमारी दया के पात्र हैं। ये नहीं समझना चाहते इनकी चाटुकारिता का खामियाजा, इनके बच्चे, इनकी आने वाली पीढी भुगतेगी। मेरी तरह यह भी स्वार्थी हैं। फर्क इतना है कि मैं अपने बच्चों के भविष्य के लिये और ये अपने त्वरित, निकटतम भविष्य के लिये, अपनी रोजी रोटी के लिये।
आपके लिये ये चुनौती है कि आप हताश नहीं हों। उम्मीद का दामन ना छोड़ें। ये तो चाहते ही हैं कि आप हिंसा का रास्ता अख्तियार करें और आप पर वही तमगे लगाये जायें... आतंकवादी... देशद्रोही — अभिसार शर्मा
जुनैद, 15 साल के जुनैद को मार दिया ‘तुमने’। कितने ख्वाब सजाये होंगे उसकी मां ने...बिलकुल उसी तरह जैसे मैं अपने बच्चों को लेकर सजाये हुए हूँ। उस मां का दर्द बयान, महसूस कर सकते हो ‘तुम’? बोलो?
ये मत उम्मीद करो के देश के प्रधानमंत्री या BJP के अध्यक्ष इस मुद्दे पर कोई बयान देंगे। आजाद भारत के इतिहास के ये सबसे कमजोर प्रधानमंत्री और नेता हैं। Trump इनसे बेशक गले ना मिलना चाहे, मगर उससे तीन-तीन बार गले मिलेंगे, अपनी फजीहत करवायेंगे, मगर जुनैद या अखलाक के परिवार से गले कभी नहीं मिलेंगे। मुझसे इनसे कोई उम्मीद नहीं है।
आपके लिये ये चुनौती है कि आप हताश नहीं हों। उम्मीद का दामन ना छोड़ें। ये तो चाहते ही हैं कि आप हिंसा का रास्ता अख्तियार करें और आप पर वही तमगे लगाये जायें...आतंकवादी...देशद्रोही और आपको साथ मिलेगा — कुछ फर्जी Channels का — मगर याद रखें, इंसानियत, मासूमियत और सच में बडी ताकत है। इसके सामने सभी तरह के झूठ बौने पड़ जाते हैं। ये लोग भी जानते हैं। इसलिये ये अहिंसात्मक विरोध से डरते हैं। इसका दामन मत छोड़ना।
और मैं भी तुम्हारे साथ हूँ और मेरे जैसे बहुत सारे हिन्दुस्तानी भी। क्योंकि उन सबको अपने भविष्य की चिंता है। निजी स्वार्थ ही सही। वो आपके साथ हैं।
देश का दुख कौन हरेगा? अमरीका? ट्रम्प? या हंसी-ठट्ठा?
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अभिसार शर्मा
जाने-माने संपादक और टीवी एंकर
Twitter@abhisar_sharma
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)