जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2018 : 'शुक्रवार' में भरत तिवारी #JLF


JLF Organizers: (L to R) Sanjoy K Roy, William-Dalrymple and Namita-Gokhale

JLF registration: GENERAL REGISTRATION (FREE) Gives access to the Festival Hub including session venues, Festival book Store, food and merchandise stalls.

सज रही है परा-साहित्य की महामहफ़िल: भरत तिवारी

'शुक्रवार' 29 दिसंबर-4 जनवरी 

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2018,  25 से 29 जनवरी, में होने वाले 200 कार्यक्रमों में क्या क्या होना है, इसकी जानकारी अंततः फेस्टिवल की वेबसाइट पर आ ही गयी। पांच दिनों में, इतने कार्यक्रमों को एक साथ किया जाना कितना मुश्किल काम होगा, इसका पूरा अंदाजा आप कार्यक्रमों की सूची में से अपनी पसंद के सेशन को चुनते समय लगा सकते हैं: क्या छोड़ा जाये और क्या नहीं छोड़ा जाए...हर साल फेस्टिवल के पहले क्या-क्या ज़रूर देखना है की लिस्ट बनाने के बाद भी, वहाँ पहुँच कर गड्डमड्ड होती ही होती है, कारण किसी ऐसे कार्यक्रम को, जिसमें कोई ऐसा शख्स हिस्सा ले रहा हो जिसे आप छोड़ ही नहीं सकते, अपनी-लिस्ट में शामिल करने से चूकने से लेकर, वहां डिग्गी पैलेस में पाँच जगहों पर चल रहे कार्यक्रमों में से किसी एक से दूसरे में जाते समय, रास्ते में ऐसे कार्यक्रम को देख रुक जाना, कि कहाँ जा रहे थे भूल गए...तक हो सकता है।





फेस्टिवल का यह 11वां साल है और आयोजकों ने इस बार क्या-क्या शामिल किया है, अगर वो सारा लिखने बैठ गया तो तुलसीदास बन जाऊंगा, इसलिए बड़ी संख्या में अलग-अलग विषयों, प्रवृत्तियों, विचारों और शैलियों पर आधारित कथा, कविता, कथेतर, लिंग, पर्यावरण, उदार-कलायें, पत्रकारिता, विज्ञान, अर्थशास्त्र, यात्रा और सिनेमा पर होने वाले कार्यक्रमों में से जिनपर फ़ौरी तौर पर कह सकूंगा, कहूंगा, यानी भूल-चूक-लेनी-देनी।

Session Bridget Jones’ Diaries will have Helen Fielding in conversation with Meru Gokhale

इस साल के जबर-सेशन ये लग रहे हैं — ‘शेक्सपियर इन लव’ की पटकथा के लिए ऑस्कर विजेता ब्रिटिश नाटककार सर टॉम स्टॉपपार्ड का अपने जीवन और कार्यों की चर्चा और खुलासा करने वाला सेशन “द रियल थिंग”; “ग्रेट सर्वाइवर” इसे हिंदी में क्या कहा जाए? ‘वो महानुभाव जो जी ही गए’? अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई के लिए तो यह हिंदी अनुवाद ठीक ही लगता है, करज़ई के जीवन, विरासत और नेतृत्व, और अफगानिस्तान का भविष्य और उसके कल और आज में भारत की भूमिका पर  विलियम डेलरिंपल के साथ होने वाला सेशन ‘क्या’ होगा, यह आप सोच सकते हैं; द ब्रिजेट जोन्स डायरी सेशन में उपन्यासकार हेलेन फ़ील्डिंग प्रकाशक मेरु गोखले के साथ ब्रिजेट जोन्स से जुड़े सम्मानों और ट्रेजडियों, फिल्म और उपन्यास और उसके माँ बनने के सफ़र पर होने वाली बातें; सिद्धार्थ पिको राघवन अय्यर यानी पिको अय्यर ब्रिटेन में जन्मे भारतीय मूल के निबंधकार हैं और कैलिफोर्निया में एक बेनिडिक्ट आश्रम, जापान के शहर नारा और दुनिया भर के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों के बीच ख़ानाबदोशी जीते हैं, जब वो ‘द आर्ट ऑफ़ स्टिलनेस’ विषय पर लेखक और इतिहासकार पैट्रिक फ्रांसीसी के साथ बात करेंगे तो कमाल तो होगा ही... शशि थरूर के सत्र उनकी तरह ही ठोस-जानकारी से भरे और समझदार होते हैं। उनका सत्रों में से एक पर निगाह टिकी है : व्हाई ऍम आई अ हिन्दू




Girls Are Coming Out of the Woods: Tishani Doshi introduced by Jeet Thayil


कविताओं के ये सेशंस भी लिस्ट में जुड़ सकते हैं —  "जान निसार और कैफी", जिसमें जावेद अख्तर और शबाना आज़मी के साथ रख्शंदा जलिल की बातचीत होगी; तिशानी दोशी का ‘गर्ल्स आर कमिंग आउट ऑफ़ द वुड्स’; विशाल भारद्वाज की सुक्रिता पॉल कुमार के साथ बातचीत का सेशन “न्यूड: द पोएट विदिन” यानी “नग्न: भीतर का कवि”; एक राजस्थानी भाषा का सेशन भी नोट किया है: “राजस्थली: धरती री कूँख” जिसमें अरविंद सिंह आशिया के साथ बुलाकी शर्मा, अभिमन्यु सिंह अरहा और रीना मेनारिया की बातचीत होनी है।

शालोम: इंडियन यहूदी फिक्शन जिसमें लेखक साहित्य अकादमी सम्मानित लेखिका एस्थर डेविड और सेतु के बीच जातीयता, सम्प्रदाय, अपनत्व और साझा कहानियों की विरासत पर बात होनी है। भरोसे की भाषाई छलांग लगाने वाला यह सेशन जिज्ञासा पैदा कर रहा है।

Suki Kim will be in conversation with Michael Breen, session Undercover in North Korea: Facts and Fictions.

पत्रकारिता लेखन को, निडर रिपोर्टिंग और तथ्यों को नंगा किये जाने के प्रति प्रतिबद्धता, स्वयं में एक शक्ति बनाती है। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के इससे जुड़े सत्र अमूमन उच्च कोटि की होते आये हैं, कुछ नाम जो ज़ेहन में कौंधते हैं उनमें जोनाथन शाइनिन, बरखा दत्त, मैरी ब्रेनर, मनु जोसेफ, एम जे अकबर आदि शामिल हैं। 11वें जेएलऍफ़ में पत्रकारिता से जुड़े इन सत्रों को देखें — स्पॉटलाइट: द हंट फॉर ट्रुथ सेशन में द बोस्टन ग्लोब की स्पॉटलाइट टीम के सदस्य पुलित्जर पुरस्कार सम्मानित पुर्तगाली-अमेरिकी पत्रकार माइकल रेजेंडस पारंपरिक और स्थानीय रिपोर्टिंग की ताक़त और खोजी पत्रकारिता के मूल्यों, सत्यवादिता और प्रतिबद्धता पर अपनी राय रखेंगे और साथ ही ज़रूरी मुद्दे —  मीडिया के वर्तमान परिदृश्य में समाचारों की बदलती परिभाषाएं— पर भी बात होगी। अंडरकवर इन नार्थ कोरिया: फैक्ट्स एंड फिक्शन जैसा की नाम से लगता है कि कुछ ख़तरनाक पत्रकारिता की बात होगी, वैसा ही होगा शायद, जब नार्थ कोरिया में बंदी रहने वाली सूकी किम, दुनिया के इस सबसे गोपनीय-देश के अपने रोंगटे खड़े करने वाले अनुभवों को नार्थ और साउथ कोरिया को कवर करने वाले अंग्रेजी लेखक और पत्रकार माइकल ब्रीन के साथ साझा करेंगी।

Michael Rezendes will be in conversation with Sreenivasan Jain, session Spotlight: The Hunt for Truth

पीटर बर्जेन वो पत्रकार हैं जो 1997 में बिन लादेन से मिले थे। सीएनएन के राष्ट्रीय सुरक्षा विश्लेषक पीटर ओसामा के अब्बोट्टाबाद, पाकिस्तान में लादेन के छुपने (और बाद में मारे जाने) वाली जगह के पाकिस्तान द्वारा ध्वस्त किये जाने से पहुँचने वाले इकलौते पत्रकार हैं। उनकी किताबें बेस्टसेलर होती हैं। बर्जेन ने ओसामा के मारे जाने तक के दस सालों को मैनहंट किताब लिखा है... इतना जानने के बाद खोजी पत्रकारिता पसंद करने वाला भी और वह भी जो जानता ही न हो कि यह ‘खोजी’ क्या पत्रकारिता होती है, क्या मैनहंट: पाकिस्तान और बिन लादेन की तलाश सेशन जिसमें पीटर बर्जेन के साथ, ‘द एग्जाइल’ — वह किताब जो 2001-11 के बीच अल-कायदा और 9/11 और ओसामा पर ज़बरदस्त लेखन है — उसके लेखक, खोजी पत्रकार कैथी स्कॉट और एड्रिअन लेवी होंगे, छोड़ सकते हैं? नहीं!




गंगा मइया की हालत कितनी पस्त है तिस पर इस माँ के नाम पर भी राजनीति कम नहीं होने को है। “रिवर ऑफ़ लाइफ, रिवर ऑफ़ डेथ: द गैंजेस एंड इण्डियाज़ फ्यूचर” हिंदी में कहें तो — जीवन की नदी, मृत्यु की नदी: गंगा और भारत का भविष्य, इस सेशन में फाइनेंसियल टाइम्स के पत्रकार व लेखक विक्टर मैलेट, गंगा के उद्गम होने से से गंगा-जल होने तक, और पौराणिक दिनों की पवित्रता से लेकर आज जब उसका दम सीवेज और ज़हर से घुट रहा है तक का सफ़र कराएंगे...पता नहीं लोग उन्हें सुनने आयें कि नहीं, क्योंकि उनके सेशन में राजनीति तो होगी नहीं होगी तो बस खरी बात होगी।

बॉलीवुड-हॉलीवुड-टचवुड बाकी वुड, JLF में फिल्मी सितारे न हों ऐसा कैसे हो सकता है। इनके सेशंस, वहां मौजूद, बहुतों के अतिप्रिय होते हैं। इसलिए यदि आप फ़िल्मी चर्चाओं को पसंद करते हैं तो —  इसे नोट करें: सेशन का नाम है: एडाप्टेशनस (परिस्थितियों के अनुसार ढल जाना), इसमें समकालीन नाटककारों में प्रमुख ब्रिटेन के सर टॉम स्टॉपपार्ड, श्रीलंका में जन्मे कनाडा के उपन्यासकार और फिल्मकार माइकल ओन्डात्जे, ब्रिटेन के प्रसिद्ध उपन्यासकार निकोलस शेक्सपियर, अमेरिकन लेखिका एमी टैन और अपने भारत से विशाल भारद्वाज, मीरा नायर, नंदिता दास ये सब चिकी सरकार के साथ बातचीत में एक साथ होंगे।

संजॉय रॉय, जेएलऍफ़ का सितारा, बात करेंगे सोहा अली खान और शर्मीला टैगोर से, विषय होगा, सेलिब्रिटी होने के जोखिम, द पेरिल्स ऑफ़ सेलिब्रिटी

Indian Women Mystics: From the Rishikas to the Bhakti Poets, Arundhathi Subramaniam and Atmaprajnananda Saraswati in conversation with Philip A. Lutgendorf


महिला सशक्तिकरण जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के धर्मों में से एक है। सेशन का नाम है ‘इन्फीरियर: हाउ साइंस गॉट वीमेन रॉंग’ यानी ‘हीन: विज्ञान कैसे महिलाओं को गलत समझा’, यहाँ नारीवादी लेखक नमिता भंडारे अमरीकी लेखक और थ्योरेटिकल फिज़िस्ट लिसा रान्डेल के साथ जम कर और जमा कर बातचीत करेंगी। “इन्डियन वीमेन मिस्टिक्: फ्रॉम द ऋषिकाज़ टू द भक्ति पोएट्स / भारतीय महिलायें और रहस्यवाद: ऋषिकाओं से भक्ति कवियों तक”, ऋग्वेद में 27 स्त्रियों की रचनाएँ निहित हैं, इस सेशन में स्वामिनी आत्मप्रजानंद सरस्वती ऋषिकाज़ ऑफ़ द ऋग्वेदा / ऋग्वेद की ऋषिकायें की लेखक,  कवयित्री अरुंधती सुब्रमण्यम जिनका अध्यात्म से सम्बन्ध बहुत निजी है, उन्होंने सद्गुरु की आत्मकथा से लेकर ‘ईटिंग गॉड: अ बुक ऑफ़ भक्ति पोएट्री’ लिखी हैं, इनके साथ बात करेंगे, प्रोफेसर फिलिप लुटगेंडोर्फ, जिनकी भक्ति जानकारी उनके अनुवादों को पढ़ने से समझ आती है (वैसे उन्हें रामचरित मानस की चौपाइयां कंठस्थ हैं)

इन सब के बीच यह याद रखना कि जयपुर साहित्य महोत्सव में प्रवेश मुफ्त होता है, और इस बात की आयोजकों को बधाई देना ज़रूरी है। और अगर आप उत्सव का भरपूर आनंद उठाना चाहें तो आप डेलिगेट रूप में भी जा सकते हैं, इसकी अधिक जानकारी वेबसाईट पर होगी।

एक बार फिर से भूल-चूक-लेनी-देनी।




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