डेटा चोरी ज्यादातर...इसके लिए सबसे पहले आपको? | #जस्ट_ज़िंदगी #SundayNBT

डेटा चोरी ज्यादातर...इसके लिए सबसे पहले आपको? | #जस्ट_ज़िंदगी #SundayNBT
#जस्ट_ज़िंदगी #SundayNBT
कैसे करें

इंटरनेट पर हम तभी तक सुरक्षित हैं, जब तक सजग हैं।

ऐसे सेफ रखें मोबाइल का अपना डेटा

Save Your Mobile From Hacking

फेसबुक को लेकर हाल में जो खबरें आई हैं, वे यूजर्स को काफी डराने वाली हैं। माना जा रहा है कि फेसबुक से 5 करोड़ यूजर्स का डेटा खतरे में है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आप अपनी प्राइवेसी को कैसे बरकरार रख सकते हैं। विस्तार से जानकारी दे रहे हैं मुकेश कुमार सिंह

हाल ही में एक स्टिंग ऑपरेशन के दौरान खुलासा किया हुआ कि करोड़ों फेसबुक यूजर्स के डेटा का इस्तेमाल अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया। भारत में आयोजित चुनावों से भी इसको जोड़ा जा रहा है। कहा जा रहा है कि कंपनियां अपने प्रॉडक्ट को बेचने के लिए बड़े पैमाने पर डेटा खरीद रही है। यह एक तरह से यूजर्स की प्राइवेसी का हनन है।

परमिशन देने का मतलब होता है कि आपने उन्हें अपने घर की चाबी दे दी। अब जैसा मन करेगा, कंपनियां वैसे ही डेटा का इस्तेमाल कर सकती हैं।


फेसबुक ही नहीं, तमाम सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप्स यूज करने वाले यूजर्स भी अपने डेटा को लेकर फिक्रमंद हैं। डेटा लीक के बाद लाखों लोगों ने अपना फेसबुक अकाउंट डिलीट कर दिया, लेकिन बाकी यूजर्स के मन में बड़ा सवाल है कि क्या हमारा डेटा सुरक्षित है? इसका जवाब है कि इंटरनेट पर हम तभी तक सुरक्षित हैं, जब तक सजग हैं। मोबाइल ऐप्स बड़ी आसानी से आपसे कुछ परमिशन ले लेते हैं और आपका डेटा इकट्ठा करते रहते हैं। ये ऐप आपकी हर गतिविधि पर नजर रखते हैं और आपको मालूम भी नहीं चलता। आप कहां जा रहे हैं, किसे कॉल कर रहे हैं, किसके साथ बैठे हैं और किस रेस्तरां में खाना खा रहे हैं, जैसी सारी जानकारी इनकी निगाह में होती है।

एंड्रॉयड ऐप एक्सपर्ट श्वेतांक आर्य कहते हैं कि एंड्रॉयड फ्रेमवर्क में आमतौर पर दो तरह की परमिशन होती हैं: नॉर्मल परमिशन और सेंसिटिव परमिशन। नॉर्मल परमिशन के लिए ऐप आपसे इजाजत नहीं मांगते बल्कि ऐप इंस्टॉल करते ही यह परमिशन उन्हें मिल जाती है। वाईफाई, ब्लूटूथ, वॉलपेपर और अलार्म जैसी चीजें इसमें आती हैं, जबकि कैमरा, लोकेशन, माइक्रोफोन और स्टोरेज समेत कई तरह के हार्डवेयर स्टोरेज की इजाजत आपसे मांगी जाती है, जोकि खतरनाक साबित हो सकती है। आमतौर पर आप ऐप इंस्टॉल करते वक्त परमिशन दे भी देते हैं क्योंकि कई ऐप्स बिना इन परमिशन के डाउनलोड ही नहीं होते। बेशक परमिशन देने का मतलब होता है कि आपने उन्हें अपने घर की चाबी दे दी। अब जैसा मन करेगा, कंपनियां वैसे ही डेटा का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसमें सबसे खतरनाक बात यह है कि आपको डेटा चोरी के बारे में पता भी नहीं चलेगा। आप जब परमिशन दे देते हैं तो एंड्रायड फ्रेमवर्क भी उन्हें आपका डेटा लेने से नहीं रोकता।

आप जल्दी से ऐप इंस्टॉल करने के चक्कर में यह नहीं देखते कि आपसे क्या मांगा जा रहा है।

कब आप देते हैं इजाजत

ऐप इंस्टॉल करने के दौरान कंपनियां आपसे कैमरा, माइक्रोफोन, मेसेज पढ़ने, कॉल डिटेल्स देखने और लोकेशन समेत कई जानकारियां लेने के लिए इजाजत मांगती हैं। आप जल्दी से ऐप इंस्टॉल करने के चक्कर में यह नहीं देखते कि आपसे क्या मांगा जा रहा है। इसका नुकसान यह होता है कि ये कंपनियां ऐप के जरिए हर वक्त आप पर नजर बनाए रखती हैं और समय-समय पर उस डेटा का इस्तेमाल अपने निजी फायदे के लिए करती हैं। ऐसा ही फेसबुक डेटा लीक मामले में भी हुआ।

आप अपने फेसबुक अकाउंट में इंटिग्रेटेड ऐप्स को जरूर जांचें। जिन पर शक हो, उन्हें फौरन हटा दें

सोच-समझ कर दें परमिशन

डेटा चोरी से बचने के लिए आपको शुरू से सजग रहना होगा। अगर आप प्लेस्टोर से कोई ऐप डाउनलोड करते हैं तो आपको वहीं सावधान रहना है। आप हर ऐप को किसी खास काम के लिए डाउनलोड करते हैं इसलिए हर चीज की परमिशन उसे न दें। अगर कोई रेस्तरां का ऐप है तो उसे कैमरा या मेसेज ऐक्सेस का कोई काम नहीं है। वहीं अगर कोई पेमेंट ऐप है तो वह लोकेशन एक्सेस क्यों जानना चाहता है, इस बारे में भी सोचें। आपने पहले से कई ऐप डाउनलोड किए होंगे। आप उनकी भी परमिशन का रिव्यू कर सकते हैं। आप देख सकते हैं कि कौन-कौन से ऐप आपसे क्या जानकारी ले रहे हैं।

  1. इसके लिए सबसे पहले आप फोन की Settings में जाएं। 
  2. वहां Apps या Apps & notifications में जाएं। 
  3. यहां पर आपके मोबाइल पर डाउनलोड हुए तमाम ऐप्स की लिस्ट सामने होगी। 
  4. अब आप उस ऐप को टैप करें जिसकी परमिशन को आप रिव्यू करना चाहते हैं। 
  5. यहां आपको कई सारे ऑप्शंस दिखेंगे जिनमें से एक Permissions होगा। 
  6. इसे टैप करने पर कुछ ऑप्शन के साथ आपको बॉडी सेंसर, कैलेंडर, कैमरा, कॉन्टैक्ट्स, लोकेशन, माइक्रोफोन, फोन, एसएमएस और स्टोरेज की परमिशन का ऑप्शन मिलेगा। 
  7. यहां आप अपनी सुविधानुसार ऐप परमिशन को मॉडिफाई कर सकते हैं। बेशक जो जिस ऐप के लिए जरूरी परमिशन लगे, सिर्फ उन्हीं की परमिशन आप दें। 
गौरतलब है कि ऐप परमिशन रिव्यू की सुविधा एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम 6.0 मार्शमेलो या इससे ऊपर के संस्करण में ही उपलब्ध है।

वैसे आजकल के नए हैंडसेट्स में आपको बारी-बारी सभी ऐप में जाकर परमिशन को ऑन-ऑफ करने की जरूरत नहीं होती, बल्कि सेटिंग्स में जाकर सबसे पहले आपको ऐप्स का चुनाव करना होता है। फोन में नीचे या ऊपर राइट साइड में More का ऑप्शन या तीन डॉट (...) मिलेंगे। आपको उस पर क्लिक करना है। इसमें ही आपको ऐप परमिशन का ऑप्शन मिलेगा, उस पर टैप करें। यहां आपको बॉडी सेंसर, कैलेंडर, कैमरा, कॉन्टैक्ट्स, लोकेशन, माइक्रोफोन, फोन, एसएमएस और स्टोरेज जैसे ऑप्शंस दिखेंगे। आप बारी-बारी से इन पर टैप कर देख सकते हैं कि कौन-सा ऐप किस तरह का डेटा ऐक्सेस कर रहा है। हर सेग्मेंट में ऐप की पूरी लिस्ट आ जाएगी। आप यहां खुद ही ऐप डेटा को मॉडिफाई कर सकते हैं।


फेसबुक के लिए

'Login with facebook' से बचें
कई बार आप ब्राउजर या ऐप में किसी चीज को खोलते हैं और वह आपको आईडी बनाने या फिर 'लॉग-इन विद फेसबुक' या 'लॉग-इन विद जीमेल' के लिए कहता है। आप भी जल्दी से लॉग-इन करने के लिए इन्हें ऐक्सेस दे देते हैं, लेकिन आपको शायद मालूम नहीं कि ऐसा करके वह वेबसाइट या ऐप आपसे जानकारियां हासिल कर लेता है और फिर हमेशा के लिए आपके फेसबुक में ताकझांक करने का इंतजाम कर लेता है। अगर आपने पहले से किसी को ऐक्सेस दे रखा है तो आप बाद में भी रिव्यू कर सकते हैं। 

  1. इसके लिए आप फेसबुक ऐप की Settings में जाएं। 
  2. यहां आप बिल्कुल नीचे स्क्रॉल करेंगे तो Apps का ऑप्शन मिलेगा। उस पर टैप करें। 
  3. यहां Logged in with Facebook पर टैप करने के बाद उन ऐप्स की पूरी लिस्ट आ जाएगी जिन्हें आपने 'लॉगिन विद फेसबुक' का ऐक्सेस दिया है। 
  4. यहां से आप ऐप को सिलेक्ट कर डिलीट कर सकते हैं।



अपनी प्राइवेसी जांचें

फेसबुक पर कुछ ऐसी तस्वीरें होती हैं, जिसे अपने दोस्तों में प्राइवेट रखना चाहते हैं या किसी सब्जेक्ट को दूसरों के साथ साझा नहीं करना चाहते। अच्छी बात यह है कि आप ऐसा कर सकते हैं। फेसबुक की सेटिंग्स में जाने के बाद प्राइवेसी के अंदर मिलेगा। यहां तय कर सकते हैं कि कौन आपके पोस्ट्स के साथ ही आपके प्रोफाइल की निजी जानकारियों, जैसे-फोन नंबर, ईमेल, पता आदि देखे। कई लोग फेसबुक पर अपनी निजी जानकारी को पब्लिक कर देते हैं, जबकि यह सही नहीं है। फेसबुक पर जन्मदिन, कॉन्टैक्ट नंबर और एड्रेस आदि को छुपाकर रखें तो बेहतर है। इसका तरीका है: 

  1. फेसबुक ऐप खोलें। 
  2. राइट साइड में ऊपर तीन लाइनों पर टैप करें। 
  3. नीचे स्क्रॉल करने पर आपको Account Settings मिलेंगी। इसे टैप करें। 
  4. इसमें Privacy पर जाएं। 
  5. यहां मिलेगा Check a few important settings, इसे टैप करें। 
  6. फिर Next पर टैप करें। 
  7. choose Audience को Public, Friends आदि में से चुन सकते हैं। फिर Next पर टैप करें। 
  8. यहां आपका मोबाइल नंबर, ईमेल, बर्थडेट आदि होगा। इन्हें Only me कर दें। 
  9. अगला स्टेप आप कर ही चुके हैं। 
  10. फिर Next पर जाएं। इसे बंद कर दें।


डुअल सिक्यॉरिटी

अगर अपने फेसबुक अकाउंट को बहुत ज्यादा सिक्योर रखना चाहते हैं, तो डुअल सिक्यॉरिटी का सहारा ले सकते हैं। जब फेसबुक खोलने के लिए आइडी और पासवर्ड डालेंगे, तो आपको एक अडिशनल कोड दिया जाएगा। यह कोड आपको मोबाइल पर मिलेगा। इससे आपका अकाउंट ज्यादा सुरक्षित होगा। इसके लिए

  1. ऐप खोलें। 
  2. तीन लाइनों पर टैप करें। 
  3. नीचे स्क्रॉल करें। 
  4. Account Settings में Security and login में जाएं। 
  5. यहां नीचे की तरफ स्क्रॉल करने पर Setting Up Extra Security के अंदर आपको Use two-factor authentication का ऑप्शन मिलेगा। 
  6. इसे On कर दें।


लॉगइन अलर्ट

अगर आप चाहते हैं कि कोई दूसरा शख्स आपका फेसबुक अकाउंट लॉगइन करे तो आपको सूचना मिल जाए तो आप लॉगइन अलर्ट्स फीचर को इनेबल कर सकते हैं।

  1. यह फीचर Account Settings में 
  2. Security and login के अंदर 
  3. Get alerts about unrecognized logins नाम से मिलेगा। 
  4. इसे On कर दें। 
आप नोटिफिकेशन फोन पर ले सकते हैं या फिर ईमेल पर।

ऐप्स की करें जांच

आप फेसबुक से जुड़ी हर चीजों का ध्यान नहीं रख सकते। देखा गया है कि अक्सर लोग फेसबुक पर दूसरों को गेम के लिए इनवाइट करते हैं। ये ऐप्स आपके फेसबुक अकाउंट में आकर बैठ जाते हैं और आप इनका इस्तेमाल न भी करें तो भी आपके निजी डेटा को ऐक्सेस करते रहते हैं। ऐसे में आप अपने फेसबुक अकाउंट में इंटिग्रेटेड ऐप्स को जरूर जांचें। जिन पर शक हो, उन्हें फौरन हटा दें।

चोर ऐप्स और डिवाइस का पता करें

अगर आप एंड्रॉयड फोन इस्तेमाल कर रहे हैं तो जाहिर है गूगल अकाउंट भी होगा। गूगल अकाउंट से ही फोन की कई सर्विसेज़ कनेक्ट होती हैं। कई ऐप्स गूगल अकाउंट के जरिए ही काम करते हैं। आप ऐप इस्तेमाल करने के दौरान उसे ऐक्सेस दे देते हैं, लेकिन बाद में उसे हटाना भूल जाते हैं। ये ऐप्स चुपचाप आप पर निगाह रखते हैं। हालांकि आप चाहें तो इसे रिव्यू कर सकते हैं और इन ऐप्स और डिवाइस को हटा सकते हैं।

चोर डिवाइस का पता

इसके लिए सबसे पहले

  1. लैपटॉप या कंप्यूटर पर आपको अपना जीमेल अकाउंट खोलना है। 
  2. जीमेल में टॉप राइट साइड में आपको अपनी तस्वीर दिखाई देगी। आपने अगर तस्वीर नहीं लगाई है तो आपके नाम का लोगो आएगा। उस पर क्लिक करें। 
  3. इसके साथ ही आपको ब्लू बैकग्राउंड के साथ My Account लिखा दिखाई देगा। उस पर क्लिक करें।
  4. आप सीधे myaccount.google.com टाइप करके भी जा सकते हैं। 
  5. यहां Sign-in and security के अंदर आपको Device activity & security events का ऑप्शन दिखाई देगा। उस पर क्लिक करने पर एक नया विंडो खुलकर आ जाएगा और 
  6. आप यहां से Recently used devices देख सकते हैं। 
  7. यहीं पर थोड़ा नीचे REVIEW DEVICES का ऑप्शन होगा और आप उस पर क्लिक कर देख सकते हैं कि किस-किस फोन, टैब्लेट और कंप्यूटर में आपका गूगल आईडी इंटिग्रेटेड है। 
  8. जिन डिवाइस की जानकारी आपको नहीं हैं, उन्हें यहां से हटा दें। इसके लिए आपको उस डिवाइस पर क्लिक करना है और सामने ही REMOVE का ऑप्शन होगा। उस पर क्लिक कर उस डिवाइस को आप रिमूव कर दें।



चोर ऐप्स की करें पहचान

डेटा चोरी ज्यादातर ऐप्स के जरिए ही होती है। आप चोर ऐप्स की भी पहचान कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले आपको

  1. लैपटॉप या कंप्यूटर पर अपना जीमेल अकाउंट खोलना है। 
  2. यहां से टॉप राइट में अपने फोटो या नाम पर क्लिक करना है और फिर 
  3. My Account पर क्लिक करना है। 
  4. यहां आपको Apps with account access का ऑप्शन मिलेगा। आप उस पर क्लिक कर दें। 
  5. यहीं नीचे की ओर आपको Manage Apps का ऑप्शन मिलेगा। उस पर क्लिक करते ही ऐप्स की पूरी लिस्ट आ जाएगी, जो आपका जीमेल डेटा ऐक्सेस कर रहे हैं। 
  6. आप जिस ऐप को हटाना चाहते हैं, उस पर क्लिक करें। 
  7. आपको सामने Remove का ऑप्शन दिखेगा। इस ऑप्शन पर क्लिक कर उस ऐप को आप हटा सकते हैं।


कुछ जरूरी सावधानियां

हर मोबाइल और इंटरनेट यूजर को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:

न रखें आसान पासवर्ड: ज्यादातर लोग जन्मदिन या मोबाइल नंबर को अपना पासवर्ड बना लेते हैं। वहीं कई लोग नाम के आगे 123456 जैसे शब्द जोड़कर पासवर्ड रख लेते हैं। यह बेहद खतरनाक है। पासवर्ड बनाते वक्त हमेशा ध्यान रहे कि बिल्कुल अगल तरह का पासवर्ड हो। स्पेशल कैरक्टर्स का जरूर इस्तेमाल करें और हर अकाउंट के लिए अलग पासवर्ड रखें।

बदलते रहें पासवर्ड: कोशिश करें कि महीने, दो महीने में पासवर्ड बदलते रहें। हर बार नया पासवर्ड बनाएं और स्पेशल कैरक्टर्स जरूर रखें। उन्हें ट्रैक करना मुश्किल होता है। वहीं पासवर्ड बनाते वक्त सिक्यॉरिटी सवाल और जवाब को ज्यादा मजबूत रखने की कोशिश करें ताकि कोई बंदा अनुमान न लगा सके।

डुअल सिक्यॉरिटी: डुअल सिक्यॉरिटी का इस्तेमाल आपको अतिरिक्त सुरक्षा का भरोसा देता है। जब आप ईमेल खोलने के लिए आईडी और पासवर्ड डालेंगे तो आपको एक अडिशनल कोड दिया जाएगा। यह कोड आपके मोबाइल पर मिलेगा। इससे आपका अकाउंट ज्यादा सुरक्षित होगा।

अनजान ईमेल न खोलें: आपके मेल बॉक्स या मेसेज में कोई भी अनजान मेल या लिंक आए तो उसे बिल्कुल न खोलें। वह वायरस हो सकता है, जो आपका ईमेल अकाउंट और डेटा हैक कर सकता है। वहीं कई वेबसाइट आपको लॉटरी या गिफ्ट का लालच दे रहा हो तो उस पर भी बिल्कुल क्लिक न करें।

प्राइवेट ब्राउजिंग: अगर किसी वजह से अनजान पीसी या मोबाइल पर आप अपना ईमेल या सोशल अकाउंट खोल रहे हैं तो प्राइवेट ब्राउजिंग का सहारा लें। साइबर कैफे, दोस्त के कंप्यूटर या मोबाइल आदि में तो यह और भी जरूरी है। सार्वजनिक स्थानों में सुरक्षा नियमों का सही से पालन नहीं किया जाता और हैकिंग का खतरा होता है। क्रोम ब्राउजर में Incognito Private Browising प्राइवेट मोड में है।

ओपन वाईफाई के इस्तेमाल से बचें: आजकल ज्यादातर जगह फ्री यानी ओपन वाईफाई सर्विस उपलब्ध होती है। कोशिश करें कि ओपन वाईफाई का इस्तेमाल न करें। इससे मोबाइल या लैपटॉप के हैकिंग का खतरा रहता है।

न रखें अपना ब्लूटूथ ओपन: डेटा ट्रांसफर का आसान जरिया ब्लूटूथ है और हैकर्स के लिए डेटा हैक का भी यह आसान जरिया है। अपने फोन का ब्लूटूथ तभी ऑन करें, जब जरूरत हो और इसके बाद फौरन बाद ऑफ कर दें।

साइड लोडिंग न करें: अक्सर आप किसी फोन या कंप्यूटर से ऐप्लिकेशन ट्रांसफर कर लेते हैं। इसे साइड लोडिंग कहते हैं। इससे भी वायरस आने का खतरा होता है। वायरस के जरिए हैकर्स फोन से डेटा चोरी करते हैं। ऐप स्टोर से ही ऐप डाउनलोड करें।

अगर आप अपना फोन सर्विस के लिए दे रहे हैं, उसे बेच रहे हैं या ...


फैक्टरी डेटा रीसेट करें: अगर आप अपना फोन सर्विस के लिए दे रहे हैं, उसे बेच रहे हैं या अपने किसी रिश्तेदार, दोस्त या नौकर को दे रहे हैं तो सबसे पहले उसे फैक्ट्री रीसेट करें। ज्यादा अच्छा होगा कि हार्डबूट करें। इसके लिए

  1. Settings में जाएं वहां Backup & reset में जाएं। 
  2. यहां आपको Factory data reset का ऑप्शन मिलेगा। उसे टैप करें। 
आपका फोन अब किसी को देने के लिए तैयार है। दूसरी ओर, हार्डबूट के लिए आपको फोन को रिकवरी मोड में ले जाना होगा। इसके लिए सबसे पहले 


  1. फोन को ऑफ करना है और 
  2. वॉल्यूम डाउन और पावर बटन को एक साथ दबाना होता है। 
  3. कुछ देर दबाने के बाद यह रिकवरी मोड में चला जाएगा। 
यहां टच काम नहीं करेगा और आपको पावर और वॉल्यूम बटन का सहारा लेकर डेटा वाइप करना होगा।

किन ऐप्स को क्या दें परमिशन

आजकल डेटा प्राइवेसी बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है और फेसबुक डेटा स्कैम ने इसे और बढ़ा दिया है। ऐसे में ऐप्स को उतना ही ऐक्सेस दें, जितना जरूरी है। यहां 15 ऐसे ऐप्स की लिस्ट दी गई है, जिनका इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है। साथ ही, उनके लिए जरूरी और गैर-जरूरी परमिशन की जानकारी भी दी गई है।

1. WhatsApp

Permissions On:
1. Camera
2. Contacts
3. Microphone
4. Storage
Permissions Off:
1. Location: जब जरूरत हो तभी लोकेशन ऐक्सेस दें।
2. SMS
3. Phone

2. FaceBook

Permissions On:
1. Camera
2. Storage
Permissions Off:
1. Calendar
2. Contacts: लोग ज्यादातर यहां से कॉलिंग नहीं करते इसलिए जरूरी नहीं है।
3. Location: लोकेशन सार्वजनिक न करें तो बेहतर है।
4. Microphone
5. SMS
6. Phone

3. Paytm

Permissions On:
1. Camera: क्यूआर कोड स्कैनर के लिए देना जरूरी है।
2. Contacts: कॉन्टैक्ट से जल्दी पैसे भेज सकते हैं।
Permissions Off:
1. Calendar
2. Location: लोकेशन देना सही नहीं है।
3. SMS
4. Storage
5. Phone

4. Twitter

Permissions On:
1. Camera
2. Storage
Permissions Off:
1. Calendar
2. Location
3. Microphone
4. SMS
5. Phone

5. SnapChat

Permissions On:
1. Camera
2. Contacts
3. Storage
4. Mike
Permissions Off:
1. Calendar
2. Location: सार्वजनिक प्लैटफॉर्म पर लोकेशन शेयर न करें।
3. SMS
4. Phone

6. Instagram 

Permissions On:
1. Camera
2. Location
3. Microphone
4. Storage
Permissions Off:
1. Contacts: फोटो शेयरिंग के इस ऐप में आप कॉन्टैक्ट ऐक्सेस न दें तो अच्छा है।
2. SMS
3. Phone


7. Tinder

Permissions On:
1. Camera
2. Contacts
3. Location
Permissions Off:
1. Body Sensors
2. Calendar
3. Microphone
4. SMS
5. Storage
6. Telephone

8. TrueCaller

Permissions On:
1. Contacts
2. SMS
Permissions Off:
1. Calendar
2. Camera: कोई काम नहीं है इसमें कैमरे का।
3. Location: लोकेशन ऐक्सेस न दें। इस ऐप में जरूरी नहीं है।
4. Microphone
5. Storage
6. Phone

9. Jio

Permissions On:
1. Contacts
2. SMS
3. Location
PPermissions Off:
1. Camera
2. Microphone
3. Phone
4. Storage

10. Flipkart

Permissions On:
1. Storage: फोन में मेमरी ज्यादा नहीं है तो यह ऐप एसडी कार्ड में सेव हो जाएगा।
Permissions Off:
1. Camera
2. Contacts: ई-कॉमर्स ऐप में कॉन्टैक्ट ऐक्सेस नहीं देना चाहिए।
3. Microphone
4. SMS
5. Location
6. Phone

11. Amazon

Permissions On:
1. Storage: यह ऐप एसडी कार्ड में सेव हो जाएगा।
Permissions Off:
1. Camera
2. Contacts
3. SMS
4. Location
5. Phone


12. Gana/Savan

Permissions On:
1. Storage: स्टोरेज के अलावा दूसरे ऐक्सेस बंद कर दें।
Permissions Off:
1. Camera
2. Contacts
3. Location
4. Microphone
5. SMS
6. Phone

13. Gmail

Permissions On:
1. Calendar
2. Storage
3. Contacts

14. Google Map

Permissions On:
1. Location: सिर्फ लोकेशन ही ऐक्सेस होना चाहिए।
Permissions Off:
1. Camera
2. Contacts
3. Microphone
4. SMS
5. Storage
6. Phone

15. Uber/Ola

1. Location: सिर्फ लोकेशन ऐक्सेस ही दें।
Permissions Off:
1. Camera
2. Contacts
3. Microphone
4. SMS
5. Storage
6. Phone

16. BHIM

Permissions On:
1. Camera
2. Contacts
3. SMS
Permissions Off:
1. Location
2. Microphone
3. Storage
4. Phone

नोट: यहां हमने एंड्रॉयड ऐप्स की परमिशन के बारे में दिया है। आईफोन के ऐप्स में भी कमोबेश इसी तरह का तरीका लागू होगा। वहां कुछ परमिशन कम हो सकती हैं।



(संडे नवभारत टाइम्स से साभार)
००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ