पंडित हरिप्रसाद चौरसिया: ध्यान की बांसुरी
साथ में हैं कृतिका जंगिनमथ बांसुरी, सस्किया राव दे हास सेलो, रूपक कुलकर्णी बांसुरी, सिद्धार्थ सरकार वायलिन, जीन क्रिस्टोफ- बांसुरी और तबले पर राशिद मुस्तफा।
24-03-2019, पद्म विभूषण पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने कहा, 'हम आईजीएनसीए के आभारी हैं, जिसने मुझे और मेरे शिष्यों को एक साथ एक मंच पर लाने का काम किया है, केंद्र का यह एक अनूठा व सराहनीय प्रयास है, हमें आशा है कि यह शृंखला निरंतर चलती रहेगी।' यह बात उन्होंने दो दिवसीय 'दीक्षाः गुरु शिष्य परंपरा' के समापन समारोह पर कही है।
उन्होंने आगे कहा, 'आज समाज में जिस प्रकार से अपराध बढ़ रहे हैं, पूरा विश्व जिस तरह से इस सामाजिक समस्या से त्रस्त है, ऐसे में इस प्रकार के कार्यक्रम, इस प्रकार के प्रयास ही समाज को अपराध मुक्त हो पाएगा।''
अपने संबोधन के बाद पद्म विभूषण पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने अपने शिष्यों के साथ अपनी बंदिशों की प्रस्तुति दी। उनके द्वारा दी गई प्रस्तुतागार में मौजूद श्रोतगणों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
उल्लेखनीय है कि इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) द्वारा गुरु शिष्य परंपरा पर आधारित दो दिवसीय 'दीक्षा' कार्यक्रम की दूसरी कड़ी का उद्घाटन 22 मार्च को संस्कृति मंत्रालय के सचिव अरुण गोयल, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया एवं आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी ने दीप प्रज्वलित कर किया था।
कार्यक्रम के पहले दिन कृतिका जंगीनाथ ने बांसुरी पर राग देश, अलाप-जोड-झाला, मध्य द्रुत, तीन ताल और ठुमरी 'आज श्याम संग होली खेलूं' बजाया। उसके बाद सस्किया राव ने सेलो पर राग मोहिनी व चारुकेशी बजाया। अंत में रूपक कुलकर्णी ने बांसुरी पर राग बागेश्वरी बजाया।
कार्यक्रम के दूसरे एवं आखिरी दिन की शुरुआत सिद्धार्थ सरकार के वायलिन वादन के साथ हुआ। इसके बाद मंच पर आए जियोन क्रिस्टोफ ने बांसुरी की तान से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएं