Hindi Poetry: माउंट एवरेस्ट से... — तुम जाओ — राजिन्दर अरोड़ा की कविता


Hindi Poetry: माउंट एवरेस्ट से... — तुम जाओ — राजिन्दर अरोड़ा की कविता


माउंट एवरेस्ट से वापसी में नामचे बाजार से फाकडिंग (Phakding) को नीचे उतरते हुए जब आखरी बार आमा दब्लम (Ama Dablam)  चोटी को देखा था, तब, मई २०१८ में, इस कविता को लिखना शुरू किया था। 
Hindi Poetry

तुम जाओ

— राजिन्दर अरोड़ा

तुम जाओ,
लौट जाओ
मैं नहीं आऊँगी।
न तुम्हारे साथ
ना पीछे,
तुम लौट जाओ
शहर को
अपनों के पास।

तुम्हारा प्रेम
बस पहाड़ों से है
तुम्हारी लालसा
ऊँचाईयों की है
तुम्हे
कुछ पाना है
देखना है
छूना है
लिखना है
और
लौट जाना है।

तुम नहीं जानते
महसूस करना,
किसी का होना
और
किसी का हो कर
बस, रह जाना ।
टिक जाना
रुक जाना
हो जाना विलीन
दूसरे में।

मेरा अपना
कोई नहीं है
न है कोई अस्तित्व।
मुझमे एक दो नहीं
अनगिनित आत्मा हैं
इस ब्रह्माण्ड—सी
आकाश गंगा—सी
और उस से भी परे की
अथाह ऊर्जा की।

मैं बर्फानी हवा हूँ
सागरमाथा की
नहीं रह पाऊँगी
ऊंचाइयों से
बर्फ से
पहाड़ों से
परे या दूर।

मैं उड़ती हूँ
वादियों में
बहती हूँ
झरने और नालों में।
नदी सी
पूरक नहीं हूँ मैं।
न ही जाती हूँ
समंदर से मिलने।

तुम जाओ,
लौट जाओ
तुम नहीं जानते
महसूस करना,
किसी का होना
और
किसी का हो कर
बस, रह जाना ।
टिक जाना
रुक जाना
हो जाना विलीन
दूसरे में। नहीं आऊँगी।

मैं बादलों में घुली
फुहार हूँ
उनका आकर हूँ
आसमां का वंश हूँ
हिम हूँ
भाप हूँ
कल्पना हूँ।
सागर से दूर
फ़िज़ां में घुला
हर औरत का
दिवास्वप्न हूँ।
तुम जाओ,
लौट जाओ
मैं नहीं आऊँगी।

रास्ते की
सबसे छोटी
कंकरी हूँ मैं ।
गिरी
पिसी
रुंधाई।
चमकती
स्फटिक हूँ,
जो चुभेगी तुम्हे
पैर में
आँख में
दिन में - रात में।
तुम जाओ,
लौट जाओ
मैं नहीं आऊँगी।

में बूटी हूँ, जड़ हूँ
चट्टानी दरारों में।
महक हूँ
सूखे चटक में।
बिन बीजा
दोष हूँ।
झूठे अमरत्व सी
दवा हूँ।
तुम क्या, मुझे
सब चाहते हैं ।

तो ?
मैं कँहा हो सकती हूँ
सब की !!!
या तुम्हारी  !!!

तुम जाओ,
लौट जाओ
मैं नहीं आऊँगी।
न तुम्हारे साथ
ना पीछे।

कविता व फोटोग्राफ
राजिन्दर अरोड़ा


००००००००००००००००




एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
कहानी ... प्लीज मम्मी, किल मी ! - प्रेम भारद्वाज
दो कवितायेँ - वत्सला पाण्डेय
मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ — 'पगला गई है भागवती!...'
ब्रिटेन में हिन्दी कविता कार्यशाला - तेजेंद्र शर्मा
कोरोना से पहले भी संक्रामक बीमारी से जूझी है ब्रिटिश दिल्ली —  नलिन चौहान
गिरिराज किशोर : स्मृतियां और अवदान — रवीन्द्र त्रिपाठी
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
विडियो में कविता: कौन जो बतलाये सच  — गिरधर राठी
Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी