तुम मेरे पास रहो - ‘एबाइड विद मी’ हिन्दुस्तानी में - सुरन्या अय्यर, महमूद फारूकी | Tum Mere Paas Raho 'Abide With Me' Hindi Version


महात्मा गांधी के प्रिय भजनों में से एक ईसाई प्रार्थना ‘एबाइड विद मी’ को इस साल बीटिंग द रिट्रीट समारोह से हटा दिया गया है

इस धुन को 29 जनवरी को बीटिंग रिट्रीट समारोह के समापन पर गांधी की पुण्यतिथि की पूर्वसंध्या पर मिलिट्री बैंड द्वारा बजाया जाता है.यह धुन साल 1950 से लगातार बीटिंग द रिट्रीट का हिस्सा रही है, जिसे साल 2020 में भी हटा दिया गया था, हालांकि भारी विवाद के बाद इसे 2021 में दोबारा शामिल कर लिया गया.इस साल बीटिंग द रिट्रीट समारोह में बजाई जाने वाली 26 धुनों की आधिकारिक सूची में ‘एबाइड विद मी’ का उल्लेख नहीं है. ‘एबाइड विद मी’ को 19वीं शताब्दी में स्कॉटलैंड के एंग्लिकन हेनरी फ्रांसिस लाइट ने लिखा था और इसकी धुन विलियम हेनरी मोंक ने तैयार की थी.

तुम मेरे पास रहो 

"अबाइड विद मी" हिंदी संस्करण 

महमूद फारूकी द्वारा हिंदुस्तानी में अनुवादित "एबाइड विद मी"

निर्माता: सुरन्या अय्यर 

मूल कवि: हेनरी फ्रांसिस लिटे, 1847

मूल संगीत: विलियम एच मोंक "इवेंटाइड", 1861

 संगीत व्यवस्था और निर्देशन: उस्ताद आरिफ अली खान

स्वर: अदनान खान, फरहान खान, सुरन्या अय्यर, अमरीना आरिफ, अर्शुल अमीन 

सारंगी: उस्ताद आरिफ अली खान, तबला: अरीब अली खान, संतूर: मनोज शर्मा

हारमोनियम: अमान अली खान, सितार: सलीम अहमद, बांसुरी: असलम अली खान

निर्देशक: अवनि बत्रा

फोटोग्राफी निदेशक, एडिटिंग: भरत तिवारी

कैमरा असिस्टेंट: ज्योत्स्निका, ध्वनि सहायक: आरुषि 



पढ़िए महमूद फ़ारूक़ी द्वारा अंग्रेज़ी से अनूदित इसका हिंदी अनुवाद:

तुम मेरे पास रहो
तुम मेरे साथ रहो
शब जब उतरती है
धुंध-सी लिपटती है
तुम मेरे पास रहो
या ख़ुदा साथ रहो
जब न साथ दे कोई
राहतें न संग हो
बेकसों के रहनुमा,
तुम मेरे पास रहोचंद रोज़ा ज़िंदगी
शुरू हुई ख़त्म हुई
असाइशें यहां की अब
फ़ना हुई फ़ना हुई
वलवले भी रह गए
तरब रहा न जश्न कोई
हर कमाल को ज़वाल बस यही है हर तरफ़
इस बदलते जग में बस
तुम्हीं तो हो जो साथ हो
अटल हो तुम, अचल हो तुम
न साथ मेरा छोड़ना
तुम मेरे पास रहो
तुम मेरे साथ रहोएक निगाह-ए नाज़ दो,
मगर रहे वो देर पा
मुरीदों पर जो प्यार है
वही मुझे भी हो अता
हमदम, नदीम और रफ़ीक
देता रहे जो हौसला
आते हो तो आओ यूं कि फिर
कभी न जाओ तुम
सदा रहो संग मेरे, आरज़ू यही है अब
तुम मेरे पास रहो
तुम मेरे साथ रहोख़तर कहां किसी का अब साथ जब हो तुम मेरे
न दर्द है न रंज है, न आंसुओं में टीस है
न मौत ही से डर रहा, लहद का अब न ग़म रहा
बक़ा मेरी फ़तह मेरी, इसी में कामयाब हूं
तुम मेरे पास रहो,
तुम मेरे साथ रहो
००००००००००००००००

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