head advt

घबराएं नहीं, आम वायरल जैसा ही है इस बार का कोरोना | This Corona variant is just like a common viral



किसी को बुखार तो किसी को खराश, किसी को गले में दर्द तो किसी को तीनों परेशानियां हो रही हैं।

कई को पेट में दर्द, जलन, पेट में मरोड़, डायरिया, उल्टी भी हो रही है। 


जानकार कहते हैं कि ये कोरोना के लक्षण हो सकते हैं। फिर भी हम RT-PCR जांच नहीं करवाना चाहते क्योंकि इस बार ऐसे इंफेक्शन में अस्पताल में भर्ती कराने की स्थिति बहुत कम ही देखी जा रही है। ऐसे में क्या जरूरी है? ऊपर बताए हुए लक्षणों का इलाज कैसे कराना है और क्या ध्यान रखना है। देश के जाने-माने एक्सपर्ट्स से बात करके जानकारी दे रहे हैं लोकेश के. भारती

किसी को इंफेक्शन से बचना हो या गले या पेट से जुड़ी परेशानी न हो, इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। वैसे हैं तो ये पुरानी बातें लेकिन इन्हें फिर से संजीदगी के साथ याद करना जरूरी हो जाता है। कोरोना जब से आया है, तब से यह गया नहीं है। पहली लहर, दूसरी, तीसरी अब चौथी लहर की बात हो रही है। आगे शायद पांचवीं या छठी या इसके बाद भी लहर देखने को मिले। इसलिए कुछ बातों को नहीं भूलना चाहिए। इनमें से कुछ बातों को जिंदगी में '+' (प्लस) और कुछ को '-' (माइनस) करना है:

कोरोना और प्लस, माइनस की बातें 

➕ (प्लस) वाली की बातें
➕ मास्क लगाएं और 5 फुट की दूरी बनाकर रखें।
➕ मौसमी फल जैसे तरबूज, खरबूज आदि जरूर खाएं।
➕ सलाद में खीरा खाएं। नीबू का सेवन भी करें।
➕ घर का बना खाना खाएं। तेल-मसाला सामान्य रखें।
➕ हर दिन 6 से 8 घंटे की नींद पूरी करें। यह नींद अगर रात 10 या 11 से सुबह 5 से 6 बजे की बीच हो तो बेहतर है।

➖(माइनस) वाली बातें

➖सर्द और गर्म का ख्याल रखें। एसी से फौरन ही निकलकर गर्मी में न जाएं और गर्मी से आकर सीधे एसी में न बैठें। यानी ध्यान रखना है अंदर-बाहर के तापमान का अंतर 3 से 4 डिग्री से ज्यादा न हो। अमूमन एसी का तापमान 20 से 22 डिग्री सेल्सियस और बाहर का तापमान 30 से 40 डिग्री तक होता है। ज्यादा गर्मी बढ़ने पर बाहर का तापमान 40 डिग्री से भी ज्यादा हो जाता है।
➖फ्रिज का ठंडा पानी न पिएं या अगर पीना है तो घड़े के पानी जितना ठंडा करके यानी ठंडे पानी में आधा सामान्य पानी को मिला दें।
➖फिलहाल ठंडी चीजों जैसे आइस्क्रीम, कोल्ड ड्रिंक्स आदि से बचें।
➖ बाहर का जूस, खासकर गन्ने का रस पीते समय बर्फ को हटवा दें। मुमकिन है कि बाहर जो बर्फ इस्तेमाल की जा रही है वह पुरानी हो। उसमें पहले से ही बीमार करने वाले बैक्टीरिया मौजूद हों।
➖ बाहर की चीजें खाने से बचें। पित्जा, बर्गर, नूडल्स से अभी दूरी बनाना बेहतर है।
➖अगर गले में जरा-सी भी खराश होने लगे, शरीर में थकावट और हल्का बुखार महसूस हो तो ठंडी चीजें बिलकुल भी न खाएं।

इन्हें ज्यादा परेशान कर रहा है कोरोना

  • जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज नहीं ली है।
  • जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी है। साथ ही, अगर उन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज नहीं ली है। अब तो प्रिकॉशनरी डोज की जरूरत भी ऐसे लोगों को पड़ने लगी है।
  • अगर शुगर और बीपी है, लेकिन ये काबू में नहीं हैं। सही तरीके से और सही समय पर दवा या इंसुलिन नहीं ले रहे।
  • जो खानपान और सेहत का ध्यान नहीं रखते। शराब-तंबाकू लेते हैं।
  • हेल्दी रुटीन फॉलो नहीं कर रहे यानी हर दिन 30 से 40 मिनट की वॉकिंग, एक्सरसाइज और 10 से 15 मिनट का योग नहीं कर रहे।
  • अगर गंभीर बीमारी नहीं है, लेकिन किसी इंफेक्शन या कोई दूसरी शारीरिक परेशानी की वजह से आजकल जिनकी इम्यूनिटी कुछ कमजोर हुई है।

वायरस जिस अंग में, इंफेक्शन वैसा

चाहे किसी को बुखार हो या खराश, किसी को पेट से जुड़ी परेशानी हुई हो - ऐसी समस्याएं किसी सामान्य से वायरस की वजह से हुई हों या फिर ओमिक्रॉन या नए XE वेरियंट की वजह से। वैसे भी XE वेरियंट ओमिक्रॉन से ही बना है। हमें इस बात में नहीं पड़ना है कि इंफेक्शन किस वायरस से हुआ है। यह सरकार का काम है कि वह जीनोम सीक्वेंसिंग के द्वारा देखे कि किस तरह के वायरस की वजह से इंफेक्शन हुआ है। कोरोना के सभी तरह के वायरसों के लिए फिलहाल इलाज का तरीका अमूमन एक जैसा ही है। कोरोना वायरस जब सांस की नली में पहुंचता है तो गले में खराश, खांसी, गले में दर्द होता है। इसे Respiratory Tract Covid (RT कोविड) कहते हैं। वहीं जब यह फूड पाइप के जरिए पेट और आंतों तक पहुंचता है और पेट में परेशानी पैदा होती है, मसलन: पेट में दर्द, पेट में मरोड़, लूज मोशन, उल्टी आदि तो इसे Gastrointestinal Covid (GI कोविड) कहते हैं। वहीं बुखार गले या पेट या फिर दोनों जगह इंफेक्शन की वजह से हो सकता है। इसलिए इलाज हमेशा लक्षणों के आधार पर होता है।

RT-PCR टेस्ट और आइसोलेशन


कौन कराए RT-PCR टेस्ट

  1. बुखार, गले में खराश, गले में दर्द, शरीर में दर्द हो।
  2. ऊपर बताए हुए लक्षणों के अलावा अगर पेट से जुड़ी समस्याएं भी हो, खासकर लूज मोशंस, उल्टी, पेट में मरोड़ आदि।
ध्यान दें कि ऊपर बताए हुए दोनों तरह के लक्षणों में अगर बुखार के साथ खराश और पेट से जुड़ी समस्याएं हों या न भी हों तो भी RT-PCR जरूर करवाएं। यह जांच डॉक्टर को दिखाकर या फिर खुद से निर्णय लेकर भी करा सकते हैं।

  • सर्दी-जुकाम के साथ सामान्य बुखार है तो यह 3 दिन में उतर जाता है। अगर कोई चाहे तो दूसरे या तीसरे दिन भी डॉक्टर से मिल सकता है। डॉक्टर फौरन ही जांच के लिए लिखता है तो RT-PCR करा लें। दरअसल, बुखार के साथ अगर दूसरे लक्षण भी मौजूद हैं तो टेस्ट कराना सही रहता है। अगर RT-PCR का नतीजा पॉजिटिव आए तो बुखार आने से 5 से 7 दिनों तक आइसोलेशन में जरूर रहें, खासकर ऐसे लोग जिनके घर में बुजुर्ग हों।

RT-PCR के रेट प्राइवेट लैब में

दिल्ली में
लैब में जाकर: 300 रुपये, होम कलेक्शन: 500 रुपये
यूपी में
लैब में जाकर: 700 रुपये, होम कलेक्शन: 900 रुपये
हरियाणा में
लैब में जाकर 299 रुपये, होम कलेक्शन 499 रुपये
महाराष्ट्र में
लैब या कोविड सेंटर में जाकर 350 से 500 रुपये, होम कलेक्शन: 700 रुपये

ये टेस्ट भी, पर RT-PCR ही बेस्ट

RT-PCR के अलावा क्विक ऐंटिजन टेस्ट और होम किट टेस्ट के ऑप्शन भी हैं, लेकिन रिपोर्ट नेगेटिव आने पर इसे सही नहीं माना जाता। फिर से RT-PCR करवाना ही पड़ता है। दरअसल, ये टेस्ट 60 से 70 फीसदी तक गलत हो सकते हैं यानी फॉल्स नेगेटिव हो सकते हैं। हां, पॉजिटिव आ गए तो ठीक।
क्विक ऐंटिजन टेस्ट के रेट
दिल्ली: 100 रुपये
यूपी: 250 रुपये
हरियाणा: 50 रुपये
होम किट रेट: अमूमन 250 रुपये से शुरू

आइसोलेशन के दौरान यह रखें ध्यान...

  • खुद को एक कमरे तक सीमित कर दें।
  • किसी के करीब बैठने से बचें।
  • बैठना मजबूरी हो तो मास्क लगाकर रखें।
  • अगर बार-बार छींक या खांसी आए तो मुंह पर रुमाल रखें।
  • अगर मुमकिन हो तो बाथरूम भी अलग रखें। अगर संभव न हो तो जितनी बार बाथरूम जाएं, फिनाइल डाल दें।
  • डॉक्टर की मदद से इलाज करवाते रहें। चूंकि अभी भी कोरोना का कोई सटीक इलाज नहीं है, सिर्फ लक्षणों का ही इलाज किया जाता है। ये लक्षण किसी भी वजह से पनपे हों, इलाज का तरीका अमूमन एक जैसा ही होता है। यह लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है।

बुखार होने पर क्या करें

जब हमारे शरीर के ऐंटिबॉडी कमजोर पड़ने लगते हैं तो शरीर को अपना तापमान बढ़ाना पड़ता है। इससे बुखार 100 से ऊपर होते हुए 101, 102, 103 या कभी-कभी 104 डिग्री फारेनहाइट तक चला जाता है। कोरोना की वजह से बुखार अमूमन 3 से 5 दिनों तक रहता है।
शरीर का सामान्य तापमान
97.7 - 99 डिग्री फारेनहाइट
बुखार में तापमान
99 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर

कब लें बुखार में दवाएं

थर्मामीटर में बुखार की रीडिंग जब 100 या इससे ऊपर जाए तो पैरासिटामॉल (डोलो, क्रॉसिन आदि) लें। चाहे वह बच्चा हो या कोई बड़ा।

बच्चों को कितनी मात्रा

बच्चों को पैरासिटामॉल की दवाएं अमूमन उनके वजन के आधार पर दी जाती हैं। एक किलो के वजन पर 10 से 15 एमजी की दवा देते हैं। बच्चे का वजन 10 किलो है तो उसे 100 से 150 एमजी तक दी जाती है।

बड़ों को कितनी मात्रा

अगर किसी बड़े को बुखार हुआ है और यह 100 या 101 तक पहुंच गया है तो उसे पैरासिटामॉल की 650 एमजी की गोली एक बार में दे सकते हैं।

...तब जरूर करें पट्टी

जब बुखार 103 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर पहुंच जाए तो सिर पर सादा पानी से गीली पट्टी रखनी चाहिए। अगर बुखार कम करने के लिए मरीज को दवा दी है तो दवा का असर होने में 1 घंटा तक लग सकता है। साथ ही इस तापमान या इससे ऊपर तापमान जाने के बाद सिर काफी गर्म हो जाता है। शरीर में मौजूद हॉर्मोंस भी अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाते। ऐसे में बुखार दिमाग को नुकसान न पहुंचाए, इसके लिए ही डॉक्टर सिर पर पट्टी करने की सलाह देते हैं।

ऐसे करें पट्टी

बुखार 103 के करीब है और मरीज को ज्यादा परेशानी नहीं है तो सिर पर सादा पानी में भिगोकर पट्टी रखें। एक बार में 2 से 3 मिनट तक रखें। इसे फिर गीला करें और माथे पर फैलाकर रख दें। ऐसा 10 से 15 मिनट तक करें। अगर बुखार 103 से ज्यादा यानी 104 तक पहुंच चुका हो और मरीज को ठंड न लग रही हो तो बड़े तौलिये को सामान्य या ठंडे पानी में भिगोकर पीठ, छाती आदि जगहों पर रख सकते हैं।

यह है हरारत

कुछ लोगों को 99 डिग्री फारेनहाइट पर भी फीवर जैसा महसूस हो सकता है, जिसे हम हरारत (सुस्ती) यानी फीवर नहीं, लेकिन फीवर जैसा कह सकते हैं। यह हरारत थकावट आदि पर होती है। कई बार यह एसी में सोने की वजह से भी हो सकती है। इसके लिए अमूमन इलाज की जरूरत नहीं होती। आराम करने से ठीक हो जाती है। ध्यान रहे कि इसके साथ बाकी लक्षण जैसे गले में दर्द, लूज मोशन, पेट में मरोड़ आदि नहीं आते।

बदन दर्द

बुखार 100 से नीचे हो या ऊपर, बदन दर्द अमूमन साथ ही आता है। शरीर को बहुत ज्यादा थकावट महसूस होती है। ऐसे में ऊपर बताई हुई पैरासिटामॉल ही इसके लिए भी काम करती है। अलग से कोई दवा लेने की जरूरत नहीं।
नोट: पैरासिटामॉल की दवा बच्चे को दें या बड़े को, 6 से 8 घंटे के फासले पर ही दें। कभी भी दवा तब ही लें जब ज्यादा जरूरी हो। सच तो यह है कि अगर दवा लेने से फायदा होता है तो इसका नुकसान भी है।

गले में इंफेक्शन की जब हो परेशानी...

आजकल खराश, गले में दर्द, लगातार छींक जैसी परेशानी काफी देखी जा रही है। ये परेशानियां बच्चों और बड़ों दोनों में देखी जा रही हैं। जब भी ऐसी परेशानियां हों, कुछ उपाय तो फौरन ही करने चाहिए:
  • एसी से दूरी रखने की कोशिश करें। अगर एसी में रहना मजबूरी हो तो भी एसी का तापमान 24 से 26 डिग्री सेल्सियस के आसपास ही रखें।
  • ठंडी चीजों से दूरी बना लें।
  • एक गिलास गुनगुने पानी में 1 से 2 चम्मच बिटाडिन या नमक मिलाकर दिन में दो बार सुबह-शाम गरारे करें। इससे ज्यादा की जरूरत नहीं होती।
  • अगर बलगम भी आ रहा है, गले में दर्द है तो दिन में दो बार स्टीम भी करें।
  • बासी खाना न खाएं। खाना गर्म ही खाएं।

...तब करें स्टीम

जब गरारे आदि से खराश खत्म न हो तो स्टीम की मदद ले सकते हैं। इसमें सादे पानी को उबालकर उसकी भाप को नाक और मुंह से अंदर खींचा जाता है। स्टीम ज्यादा असरदार तरीके से काम करे इसके लिए जरूरी है कि हम खुद को स्टीमर समेत कंबल या तौलिये से ढक लें। लोग इसमें कोई दवा मिला देते हैं। इसकी जरूरत नहीं होती। सादे पानी को अच्छी तरह से उबालने (5 मिनट तक उबालें) के बाद स्टीम अंदर खींचने से फायदा होता है। नाक से लें, मुंह से छोड़े और मुंह से लें नाक से छोड़ें। किसी सामान्य बर्तन से भी भाप ले सकते हैं। बर्तन से भाप लेने के दौरान ध्यान रखें कि पानी गिर न जाए, नहीं तो इससे जल सकते हैं। भाप लेने के दौरान पानी बेहद गर्म होता है, इसलिए स्टीम से भाप लेने से बचाव हो जाता है।

...तब करें नेबुलाइजेशन

इसका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से करें। नेबुलाइजेशन की प्रक्रिया अमूमन 10 मिनट की होती है। यह उनके लिए फायदेमंद है, जिन्हें सांस लेने में परेशानी हो, सांस की नली में सूजन, अस्थमा की परेशानी हो।

ऐंटिबायोटिक्स कब

अगर किसी के गले में दर्द या खराश ज्यादा हो। उसके लिए खाना और थूक निगलना भी मुश्किल हो जाता है। इसमें राहत के लिए ऐंटिबायोटिक्स लेना जरूरी है। ध्यान रखें कि ऐंटिबायोटिक्स डॉक्टर की सलाह से ही लें। अगर ऐंटिबायोटिक्स लेना जरूरी नहीं है तो न लें। हकीकत यह है कि आजकल बिना दवा के ठीक होने वालों की संख्या 90 फीसदी तक है। गले से संबंधित समस्या में डॉक्टर की सलाह से Azithromycin 500 एमजी सॉल्ट वाली दवा 3 या 5 दिनों तक सुबह नाश्ते के बाद एक गोली ले सकते हैं। इसी तरह खांसी के लिए कफ सिरप भी ले सकते हैं।

प्रोबायोटिक्स की बात

जब हम ऐंटिबायोटिक्स लेते हैं तो गुड बैक्टीरिया, जो पाचन में मददगार होते हैं, कई बार पूरी तरह खत्म हो जाते हैं या संख्या कम हो जाती है। इससे हमारे लिए खाना पचाना मुश्किल हो जाता है। कई डॉक्टर साथ में प्रोबायोटिक्स भी लिखते हैं। यह तभी ज्यादा कारगर है जब मरीज को उल्टी न हो। नेचरल प्रोबायोटिक जैसे: ताजे दही, छाछ आदि ले सकते हैं जो खट्टे न हों।

कोरोना से पेट में दिक्कत

कोरोना से होने वाले इंफेक्शन के लक्षणों में पेट से जुड़ी परेशानी आजकल काफी देखी जा रही है। 5 से 7 दिनों तक पेट में लहर, दर्द, लूज मोशंस भी काफी हो रहे हैं। कुछ लोगों को उल्टी भी हो रही है। 

एसिडिटी से भी गले में गड़बड़

ज्यादा तेल-मसाले, देर से खाने, खाने का एक समय तय न करने आदि की वजह से भी गले में खराश, खांसी की परेशानी हो जाती है। दरअसल, इस वजह से हमारी पाचन क्रिया प्रभावित होती है और शरीर खाना पचाने के लिए ज्यादा मात्रा में एसिड निकालता है। यह एसिड कई बार पेट में वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से पेट से ऊपर गले तक पहुंच जाता है।

जब पेट में हो गुड़गुड़

पेट की खराबी होने पर यह जरूरी है कि हमारे शरीर में पानी और नमक की मात्रा सही रहे। ऐसा न होने पर डिहाइड्रेशन की आशंका बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए नीचे लिखे उपाय जरूर होने चाहिए:

पानी की मात्रा बराबर रहे

  • कोरोना से इंफेक्शन के बाद बुखार के साथ पेट की समस्याएं आ रही है। हर दिन 3 से 4 लीटर लिक्विड लें, जिसमें ढाई से तीन लीटर पानी हो।
  • उल्टी नहीं हो रही है तो एक बार में 200 से 300 एमएल तक पानी पिएं। फिर 1 से 2 घंटे पर पानी पीते रहें।
  • अगर उल्टी हो रही है तो एक बार में 100 एमएल से ज्यादा पानी न पिएं।
  • गले से जुड़ी परेशानी न भी हो तो फ्रिज का ठंडा पानी न पिएं। फिल्टर का सामान्य पानी बेहतर है।
  • अगर घड़े का पानी पीते हैं तो इस बात की तसल्ली कर लें इंफेक्शन की कोई गुंजाइश न हो।
  • नारियल पानी काफी फायदेमंद है, लेकिन शुगर और किडनी पेशंट को नहीं पीना।

इस रूप में भी ले सकते हैं पानी

  • जलजीरा या शिकंजी भी पी सकते हैं।
  • आम पना, बेल का शर्बत आदि। ये सभी चीजें पेट में मौजूद गुड बैक्टीरिया को भी फील गुड कराती हैं।
नोट: अगर किसी को किडनी आदि की परेशानी है, जिसमें पानी और नमक आदि की मात्रा को सीमित करने के लिए कहा गया है तो पानी की मात्रा बढ़ाने का फैसला डॉक्टर की सलाह से ही करें।

डॉक्टर की सलाह से ही लें दवा

  • अगर पेट में दर्द हो या मरोड़ हो तो जब तक सह सकते हैं तो सहें। जब बर्दाश्त न हो तो ही पेनकिलर लें। दरअसल, कई बार पेनकिलर लेने की वजह से गैसट्राइटिस (आंतों में सूजन) की स्थिति बन सकती है। ऐसे में एंडोस्कोपी भी करानी पड़ सकती है। इसलिए बिना वजह दवा न लें।
  • अगर परेशानी ज्यादा है तो Oflox Oz सॉल्ट वाली दवा की एक गोली हर दिन एक ले सकते हैं। यहां इस बात का भी ध्यान रखें कि ऐसी दवाओं के लेने से आंतों की ऊपरी सतह जो खाने में मौजूद पोषक तत्वों का जज्ब करने की क्षमता रखता है, बिगड़ जाती है। ये पाचन के लिए निकलने वाले एंजाइम यानी पाचक रसों की मात्राओं को भी बुरी तरह प्रभावित करती है। इसलिए नेचरल प्रोबायोटिक, जैसे: दही आदि का भी सेवन करते रहें। ध्यान रहे कि बच्चा हो या बड़ा दूध हरगिज न लें।
  • अगर डायरिया है तो Ornidazole सॉल्ट वाली दवाएं हर दिन एक गोली ले सकते हैं।
  • उल्टी होने के 45 मिनट तक खाने के लिए न दें।
नोट: ऊपर बताई हुई ऐलोपैथ की दवाओं के साल्ट नाम बताए गए हैं। ये बाजार में कई ब्रैंड नाम से उपलब्ध हैं। ध्यान रहे ऊपर बताई हुई ऐलोपैथिक दवाओं के साथ कभी भी अल्कोहल यानी वाइन आदि का सेवन न करें। यह बहुत ज्यादा खतरनाक हो सकता है। कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें।


बुखार, बदन दर्द और गले का इलाज आयुर्वेद में

सितोपलादि चूर्ण या मुलेठी चूर्णः दोनों में से किसी एक चूर्ण को आधा चम्मच, एक चम्मच शहद आधे गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर पी लें।

कब लें: अगर गले में ज्यादा परेशानी नहीं है, बुखार भी 100 से नीचे रह रहा है तो दिन में 2 से 3 बार ले सकते हैं। अगर परेशानी ज्यादा है, खांसी बार-बार हो, गले में दर्द हो तो हर 2 घंटे में इसे ले सकते हैं।

  • अगर गले में बलगम फंसा है तो गुड़ का एक छोटा टुकड़ा (5 से 7 ग्राम) खा लें और साथ में गुनगुना पानी पी लें। फायदा होता है।

गर्मी के लिए कूल काढ़ा : 

इन दिनों गर्मी है, इसलिए सर्दी वाला काढ़ा फायदा से ज्यादा नुकसान कर सकता है क्योंकि इससे पेट ज्यादा गर्म हो जाएगा। अगर पेट की परेशानी है तो बढ़ सकती है। इसलिए हमें गर्मी के हिसाब से काढ़ा तैयार करना चाहिए। तुलसी, काली मिर्च, सोंठ, दालचीनी सभी को 1-1 चम्मच मिलाकर 1 लीटर पानी में रात में छोड़ दें। सुबह बिना गर्म किए परिवार का हर शख्स 40 एमएल तक पी सकता है।

होम्योपैथी में दवा

कोविड-19 के नए मरीजों में ज्यादातर गले और पेट से जुड़े लक्षण दिख रहे हैं। ऐसे मरीजों के लिए होम्योपैथिक दवाओं के विकल्प हैं। अगर किसी को गले में दर्द, हल्का बुखार हो, शरीर में दर्द हो तो इन दवाओं में से कोई एक ले सकते हैं:
-Belladonna
-Ferrum Phos
- Bryonia -Pulsatilla
- Rhus Tox
- Arsenic
- Album


आयुर्वेद

-गर्म तासीर वाली चीजें जैसे अदरक, लहसुन, गुड़ आदि की खाने में मात्रा कम करें।
-नॉन वेज आदि कम करें।
-अगर 2 बार लूज मोशंस हो रहे हैं तो कुटजघन वटी की 2 गोलियां 2 बार लें। अगर 3 बार लूज मोशंस हो रहा है तो 2 गोलियां 3 बार लें। इसी तरह बढ़ा सकते हैं।

बच्चों में पेट से जुड़ी समस्या

सीतोपलादि चूर्ण एक चौथाई चम्मच को एक चौथाई चम्मच शहद के साथ मिलाकर दिन में 3 बार दें। अगर कोई चाहे तो बिना परेशानी के बचाव के लिए भी इसे दे सकता है। यह चूर्ण गले की समस्याओं के साथ पेट से जुड़ी समस्याओं में भी बच्चों के लिए काम करता है।

बच्चों में बुखार होने पर...

बच्चे को गले में खराश हो या न हो, पेट की समस्या हो या न हो, बुखार हो तो गिलोय सत्व दे सकते हैं।
अगर बुखार 100 तक हो: 2 ग्राम, दिन में 4 बार दें।
अगर बुखार 100 से ऊपर: 3 ग्राम, 4 बार दें।

होम्योपैथी

जब पेट में दर्द, दस्त ,ऐंठन और गैस बने तो इनमें से कोई एक दवा लें:

-Nux Vomica
-Lycopodium
-Magnesium Phos
-Arsenic
-Album
-Pulsatill

उल्टी होने पर

दो बार से ज्यादा उल्टी होने पर लें:
-Ipecac
-सभी तरह की होम्योपैथी की दवाओं को 30 C पावर में 3 से 5 दिन लेने से आराम हो जाता है।
ध्यान दें: कोई भी दवा अपने डॉक्टर की सलाह से ही लें। दरअसल, दवा मरीज की स्थिति, उसका वजन और दूसरी परेशानियों को देखकर दी जाती है।

एक्सपर्ट पैनल

  • डॉ. अरविंद लाल, एग्जिक्युटिव चेयरमैन, डॉ. लाल पैथ लैब्स
  • डॉ. यतीश अग्रवाल, डीन, मेडिकल, IP यूनिवर्सिटी
  • डॉ. राजकुमार, डायरेक्टर, पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट
  • डॉ. कैलाशनाथ सिंगला, सीनियर कंसल्टेंट, गैस्ट्रोएंटेरॉलजिस्ट
  • नीलांजना सिंह, सीनियर डाइटिशन
  • डॉ. पूनम साहनी, डायरेक्टर-लैब, सरल डायग्नोस्टिक्स
  • डॉ. अंशुल वार्ष्णेय, सीनियर कंसल्टेंट, फिजिशन
  • डॉ. अरुण गर्ग, सीनियर कंसल्टेंट ENT फोर्टिस
  • डॉ. सुशील वत्स, सीनियर होम्योपैथ
  • डॉ. अव्यक्त अग्रवाल, सीनियर पीडीअट्रिशन
  • डॉ. सत्या एन. डोरनाला, वैद्य-साइंटिस्ट फेलो
साभार: संडे नवभारत टाइम्स में प्रकाशित, 24.04.2022

००००००००००००००००

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

गलत
आपकी सदस्यता सफल हो गई है.

शब्दांकन को अपनी ईमेल / व्हाट्सऐप पर पढ़ने के लिए जुड़ें 

The WHATSAPP field must contain between 6 and 19 digits and include the country code without using +/0 (e.g. 1xxxxxxxxxx for the United States)
?