हिंदी में कला आलोचना की कोई दिशा नहीं रह गई है हिंदी में कला पर किताबें सुंदर ढंग से नहीं छपती “हिंदी में कला आलोचना इतनी बोझिल होती है…
आगे पढ़ें »कला परख आलोक पराड़कर कला की भी एक सत्ता हो, शब्दों की भी एक दुनिया हो — देव प्रकाश चौधरी देश विदेश के महत्वपूर्ण प्रकाशकों के लिए…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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