वाणी न्यास की स्थापना वाणी प्रकाशन 26 जुलाई, 2014, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नयी दिल्ली। वाणी न्यास की स्थापना तथा वाणी प्रकाशन की 50 वीं …
आगे पढ़ें »ग़ुलज़ार — एक नाम, जो कविता को ख़्याल, ख़ुशबू और ख़ामोशी में पिरो देता है। इस पोस्ट में प्रस्तुत दस कविताएँ उनके भावलोक की झलक हैं, जो दिल को छूकर…
आगे पढ़ें »जिन गुलज़ार के साथ फोटो खिंचाने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती है वे केदारजी के साथ फोटो खिंचवाने का इसरार कर रहे थे। केदारनाथ सिंह के बारे में उदय…
आगे पढ़ें »क्या कोई फ़लक पर चाँद रखने आ रहा है? गुलज़ार दियारे शब में क्या कोई फ़लक पर चाँद रखने आ रहा है ? किसी आशिक़ के आने की ख़बर है ? या को…
आगे पढ़ें »मैं नीचे चल के रहता हूं.... जनाज़ा गुलज़ार मैं नीचे चल के रहता हूं ज़मीं के पास ही रहने दो मुझ को मुझे घर से उठाने में बड़ी आसानी होगी …
आगे पढ़ें »1857 गुलज़ार एक ख़्याल था...इन्क़लाब का इक जज़बा था सन अठारह सौ सत्तावन!! एक घुटन थी, दर्द था वो, अंगारा था, जो फूटा था डेढ़ सौ साल हुए…
आगे पढ़ें »को-पायलट* गुलज़ार बहुत कम लोग थे फ्लाइट में, और वो था उस आधी रात की फ्लाइट में कम ही लोग होते हैं अँधेरे में चले थे हम, मगर कुछ देर मे…
आगे पढ़ें »पहला भाग दूसरा भाग वो स्टेशन पर उतरते ही ऐसे उठा ली गई जैसे कोई फुटपाथ पर पड़ा सिक्का उठा ले! ट्रेन रुकी ही थी कि एक आदमी ने …
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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