परसाई जी को पढ़ते रहना चाहिए — उनका दर्शन हमारे भीतर बना रहेगा। हरिशंकर परसाई हिंदी साहित्य में व्यंग्य के आधार स्तंभ तो हैं साथ ही, उनके व्यंग्य का …
आगे पढ़ें »प्रेमचंद के फटे जूते हरिशंकर परसाई Premchand’s Torn Shoes - Harishankar Parsai हरिशंकर परसाई "प्रेमचंद के फटे जूते" वरिष्…
आगे पढ़ें »हरिशंकर परसाई की 'जिंदगी और मौत का दस्तावेज़' को पढ़ते हुए मुझे ऐसा क्या लगा होगा जो इसे टाइप किया और यहाँ आपसब के लिए लगाया...यह मैं अभ…
आगे पढ़ें »Bhagat Ki Gat ( Environment Noise Pollution, a story) — Harishankar Parsai Environment Noise Pollution, a story उस दिन जब भगतजी क…
आगे पढ़ें »हरिशंकर परसाई का यह व्यंग्य आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना उस दौर में था जब लिखा गया। आइए इसे फिर से पढ़ें और सोचें। प्रेमचंद के फटे जूत…
आगे पढ़ें »मुक्तिबोध : एक संस्मरण हरिशंकर परसाई भोपाल के हमीदिया अस्पताल में मुक्तिबोध जब मौत से जूझ रहे थे, तब उस छटपटाहट को देखकर मोहम्मद अली ताज ने कह…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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