सबसे मार्मिक प्रसंग डॉ0 नामवर सिंह के एपेन्डिसाइटिस के ऑपरेशन का था। जब वे दिल्ली आकर ‘जनयुग’ के बाद राजकमल प्रकाशन के साहित्य-सलाहकार के रूप मे…
आगे पढ़ें »रोशनी कहाँ है? राजेन्द्र यादव वाकई बिस्सो बाबू आज परेशान था। इतने विश्वास का परिणाम यह हुआ! भूखे मरते उस सोभा को खिलाया-पिलाया, रखा, और अब यों…
आगे पढ़ें »राजेन्द्र यादव की कवितायेँ न-बोले क्षण न, कुछ न बोलो मौन पीने दो मुझे अपनी हथेली से तुम्हारी उँगलियों का कम्प... उँह, गुज़रते सै…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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