वर्तमान साहित्य साहित्य, कला और सोच की पत्रिका सदस्यता प्रपत्र डाउनलोड करें वर्ष 32 अंक 2 फरवरी, 2015 सलाहकार संपादक: रवीन्द्र क…
कबिरा हम सबकी कहैं पशु योनि के तोरण द्वार विभूति नारायण राय यह समझना बड़ा दिलचस्प होगा कि इस घर वापसी का मतलब क्या है? जाति व्यवस्था की ज…
वर्तमान साहित्य साहित्य, कला और सोच की पत्रिका वर्ष 31 अंक 12 दिसम्बर, 2014 सलाहकार संपादक: रवीन्द्र कालिया संपादक: विभूति नारायण राय …
कबिरा हम सबकी कहैं बिना सांस्कृतिक सफाई के भौतिक सफाई संभव नहीं है विभूति नारायण राय दुनिया भर की बेहतरीन शाक सब्जियां, फल और अन्न उत्…
वर्तमान साहित्य दिसंबर, 2014 मेरे मन में अनेक विचार उठ-गिर रहे हैं - भारत भारद्वाज ‘जा चुके थे जो बहुत दूर, …
फिल्म समीक्षा एक कलाकार की आजादी का प्रश्न दिव्यचक्षु रंग रसिया निर्देशक- केतन मेहता कलाकार- रनदीप हुडा, नंदना सेन, परेश रावल, आशीष व…
भारत भी पाकिस्तान की तरह एक धर्माधारित राज्य अथवा हिन्दू राष्ट्र बन गया होता तो आज उसकी शक्ल क्या होती? उसमें रहने वाले शूद्रों, पिछड़ों या स्त्रिय…
'वर्तमान साहित्य' अगस्त–सितम्बर, 2014 दुर्लभ साहित्य विशेषांक विज्ञान और युग — जवाहरलाल नेहरू हिंदू संस्कृति — डा. राममनोहर लोहिया…
संवाद आलोचना के जोखिम नामवर सिंह से कवि केदारनाथ सिंह की बातचीत Risks of Criticism Namvar Singh in Conversation with Poet Kedarnath S…
8 अक्टूबर को दिल्ली में 'वर्तमान साहित्य' के संपादक और पूर्व कुलपति अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा , पूर्व महा-निदेशक उ०प्र० प…
कनाडा एक सागर की तरह अपने में दुनिया भर की प्रतभाओं को समेट कर पल पल उनका उत्सव मनाता है - मारिआन कुटरना (Marian Kutarna) "मिसिसागा लाइब्र…
हमारे कवि क्या कर रहे हैं? क्या यह भयानक समय अब भी उन्हें डराता है? या फिर वे आने वाले अच्छे दिनों में अपना …