पाठक हतप्रभ रह जाता है… पाठक को समझ ही नहीं आ रहा होता कि आखिर कैसे एक-कहानी को पढ़ कर वह उस 'दुनिया' में विचरण कर आया, जो उसके अंतस में थी…
आगे पढ़ें »कहानी कसूर मेहरीन जाफरी ‘तुम मेरी पसंद हो और मरते दम तक रहोगी पर मां की पसंद का क्या करूं? उन्हें जींस पहनने वाली। सिर पर गागल्स चढ़ाए, हा…
आगे पढ़ें »कहानी पाप, तर्क और प्रायश्चित प्रज्ञा ‘‘सुनो, तुम मीनू को जानते हो?...वही जो तुम्हारे भैया के पास पढ़ती थी।’’ ‘‘ न... नहीं तो।’’ ‘…
आगे पढ़ें »'शिवमूर्ति' पर केन्द्रित 'मंच' का विशेषांक उत्तर भारत के ग्रामीण जनजीवन, किसानों, मजदूरों, स्त्रिायों तथा दलितों की दयनी…
आगे पढ़ें »कहानी आज शाम है बहुत उदास अंजू शर्मा लोहामंडी.....कृषि कुंज......इंदरपुरी......टोडापुर .....ठक ठक ठक.........खटारा ब्लू लाइन के कंडक्टर…
आगे पढ़ें »समय को समझने की कुछ और कोशिशें प्रियदर्शन की कवितायेँ एक समय वह अदृश्य झरना है जो हमारे आंसुओं से बनता है बेआवाज वह अनुपस्थिति …
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Vandana Rag
हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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