अनमैनेजेबिल का मैनेजमेण्ट : शुभम श्री की पुरस्कृत कविता — अर्चना वर्मा कविता के बने बनाये ढाँचे तो बीसवीं सदी में घुसने के साथ ही टूट …
आगे पढ़ें »अंजली के लिए, जो मुझे तब याद करती है जब उसे साहित्य का कुछ नहीं मिल रहा होता... दोपदी सिंघार पेटीकोट व अन्य कवितायेँ ... फेसबुक से आ…
आगे पढ़ें »वाह जितेन्द्र जी वाह, क्या ख़ूब मनभावन भाषा में कहानी कही है आपने. रागदरबारी याद आ गया. बड़े दिनों बाद आराम-से, लुत्फ़ उठाते हुए पढ़ने वाली कहानी मि…
आगे पढ़ें »जब भारत के अन्य राज्यों में राज्यपाल महज नाम के प्रमुख हैं और उनका सारा कामकाज मंत्रिपरिषद की सलाह से होता है तब दिल्ली के उपराज्यपाल के पद में…
आगे पढ़ें »दिल्ली से हैदराबाद जाने वाली गाड़ी, “नागपुर” से होकर गुज़रती है ! और “नागपुर” से बड़ी चिंता क्या हो सकती है बीजेपी में एक बड़ी चिंता ये थी क…
आगे पढ़ें »क्या आप हिंदी साहित्यजगत से किसी भी प्रकार से जुड़े हैं? यदि आप का जवाब हाँ है तो अनंत विजय का यह लेख आपके लिए ही है... और अगर नहीं जुड़े हैं तो…
आगे पढ़ें »किसी को साम्प्रदायिक कहने का मतलब है एक अंतहीन बहस निमंत्रित करना — अभय कुमार दुबे अभय कुमार दुबे की किताब 'सेकुलर/सांप्रद…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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