चार ग़ज़लें ~ प्राण शर्मा खामियाँ सबकी गिनाना दोस्तो आसान है / खामियाँ अपने गिनाना दोस्तो आसां नहीं परखचे अपने उड़ाना दोस्तो आसां …
आगे पढ़ें »अमरीका ~ तस्लीमा नसरीन कब शर्म तुम्हें आएगी अमरीका ? कब समझ तुम्हें आएगी अमरीका ? कब रोकोगे तुम ये अपना आतंकवाद अमरीका? कब जीने …
आगे पढ़ें »'वर्तमान साहित्य' जुलाई, 2015 साहित्य, कला और सोच की पत्रिका वर्ष 32 अंक 7 जुलाई, 2015 सलाहकार संपादक: रवीन्द्र कालिया …
आगे पढ़ें »हया को त्याग चुकी सरकार ~ संजय सहाय इमरजेंसी के 40 वर्षों बाद उसे अबकी बार व्यापक रूप से ‘मनाया’ जा रहा है. उस वक्त वे एक दिन के लिए भी जे…
आगे पढ़ें »कविताओं में बेटी ~ दयानंद पांडेय अपनी कहानियों और उपन्यासों के मार्फ़त लगातार चर्चा में रहने वाले दयानंद पांडेय का जन्म 30 जनवरी, 1958…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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