ज्ञान गुणसागर की प्रार्थना रविवासरीय हिंदुस्तान से... ऐसे समय में जब आधुनिकता और पश्चिमीकरण की दौड़ में हम अपनी प्राचीन भक्ति और धर…
आगे पढ़ें »प्रेम का ज़ख़्म तो वैसे भी सदा गहराता है...हरा रहता है ताउम्र...जैसे रहता है नीम के दरख्त पर झूमते पत्तों का रंग दूर देस की पाती - 1 …
आगे पढ़ें »कुछ भी ‘अतिरिक्त’ उन्हें पसंद नहीं था। न ही किसी भावना का भावुक प्रदर्शन करते थे। न रंगों-शब्दों की फिजूलखर्ची रामकुमार के यहां है। सौ टका…
आगे पढ़ें »जावेद मुस्कुराए। “ठीक है। चलो तुम्हें खाना खिलाता हूँ। साथ में जी भर कर तुम मुझे ताने खिला देना। ” मीरा हिचकिचाई। शायद मनु फ़ोन करे। उसे बाल भी…
आगे पढ़ें »सुरों की ईश्वरीय-माया का दर्शन ....डॉ एल. सुब्रह्मण्यम के वायलिन वादन को सुनना इस रविवार के ' प्रभात ख़बर ' के अपने कॉलम…
आगे पढ़ें »ऐसे समय में जहां धर्म, धार्मिकता और धार्मिक चेतना का इस्तेमाल हिंसा, घृणा और भेदभाव के लिए किया जा रहा हो तथा ऐसा कर राजनीति की जमीन सींची जा …
आगे पढ़ें »योजना आयोग की पूर्व सदस्या सईदा हामिद की दो नज़्में आसिफा भेड़ें चराते -चराते कहाँ खो गई किस जंगल में जा बस गई मेरी बेटी तुमपे मन्…
आगे पढ़ें »स्वाति का ऐलान, जब तक पीएम मेरी मांगें नहीं मानेंगे तब तक नहीं तोड़ूंगी अनशन अनशन के सातवें दिन गुरुवार को स्वाति राजघाट वील चेयर पर पहुंच…
आगे पढ़ें »हद्द बेशरम हो तुम, जब बच्चे छोटे थे तो कभी गोदी में बिठाया तुमने? आज बड़े आये ह…
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