बापू के देश ! - प्रेम शर्मा

ऋण को
ऋण से भरते
मूंज हुए केश,
                   अपनी
                   तक़दीर रहन
                   उनके आदेश.

ग़ुरबत की
हथकड़ियाँ\
बचपन में पहना दीं,
                  हमको
                  बंधक  सपने
                  उनको दी आज़ादी,
उनको
सब राज-पाट
हम तो दरवेश.

                  राम भजो
                  रामराज
                  समतामूलक समाज,
पातुरिया
राजनीति
ऒखत सत्ताधिराज,
                  चिथड़ा
                  चिथड़ा सुराज
                  बापू के देश.


प्रेम शर्मा
                                            ('कादम्बिनी', जनवरी, १९६२)

काव्य संकलन : प्रेम शर्मा

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ये पढ़ी हैं आपने?

Hindi Story: कोई रिश्ता ना होगा तब — नीलिमा शर्मा की कहानी
विडियो में कविता: कौन जो बतलाये सच  — गिरधर राठी
इरफ़ान ख़ान, गहरी आंखों और समंदर-सी प्रतिभा वाला कलाकार  — यूनुस ख़ान
ईदगाह: मुंशी प्रेमचंद की अमर कहानी | Idgah by Munshi Premchand for Eid 2025
परिन्दों का लौटना: उर्मिला शिरीष की भावुक प्रेम कहानी 2025
Hindi Story आय विल कॉल यू! — मोबाइल फोन, सेक्स और रूपा सिंह की हिंदी कहानी
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल Zehaal-e-miskeen makun taghaful زحالِ مسکیں مکن تغافل
रेणु हुसैन की 5 गज़लें और परिचय: प्रेम और संवेदना की शायरी | Shabdankan
द ग्रेट कंचना सर्कस: मृदुला गर्ग की भूमिका - विश्वास पाटील की साहसिक कथा
एक पेड़ की मौत: अलका सरावगी की हिंदी कहानी | 2025 पर्यावरण चेतना